जातिवार जनगणना की मांग ने एक बार फिरसे तूल पकड़ ली है। बसपा प्रमुख मायावती ने ओबीसी समाज की अलग से जनगणना करने की मांग उठाई है।

उनका कहना है कि अगर सरकार इस दिशा में कोई फैसला लेती है तो उनकी पार्टी इसका संसद के अंदर और बाहर समर्थन करेगी।

इससे पहले ये मांग पिछड़े समाज के कई नेता उठा चुके हैं। अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार के बाद अब मायावती भी जातिवार जनगणना की मांग को बल दे रही हैं।

साथ ही इस बात का दावा कर रही हैं कि वो हमेशा से इस मांग की पक्षधर रही हैं।

मायावती ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा, “देश में ओ.बी.सी. समाज की अलग से जनगणना कराने की माँग बी.एस.पी. शुरू से ही लगातार करती रही है तथा अभी भी बी.एस.पी. की यही माँग है और इस मामले में केन्द्र की सरकार अगर कोई सकारात्मक कदम उठाती है तो फिर बी.एस.पी. इसका संसद के अन्दर व बाहर भी जरूर समर्थन करेगी।”

उधर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जातिगत जनगणना के मुद्दे पर मुलाकात करने के लिए कहा था।

फिलहाल केंद्र सरकार ने केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की अलग जनगणना करने का प्रस्ताव रखा है। लेकिन राजद, सपा, जदयू और बसपा नेता खुलकर ओबीसी की जनगणना करने की मांग उठा रहे हैं।

अगर अनुसूचित जाति और जनजाति के बाद ओबीसी की भी जनगणना हो जाती है, तो ये भी साफ़ हो जाएगा कि कथित अगड़ों की जनसंख्या कितनी है।

विपक्षी दलों का कहना है कि जाति-आधारित जनगणना से हर समाज के लिए बेहतर नीतियां बनाना आसान हो जाएगा, लेकिन भाजपा ऐसा करने से डर रही है।

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