प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी (Economy) बनाने का दावा कर रहे हों, लेकिन देश समेत दुनिया भर की रेटिंग एजेंसियां उनके इस दावे पर सवालिया निशान लगाती नज़र आ रही हैं। सारी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां भारत के GDP ग्रोथ अनुमान को घटा रही हैं।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के बाद अब अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moody’s) ने भारत के जीडीपी ग्रोथ अनुमान को घटा दिया है। गुरुवार को जारी मूडीज की रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए ग्रोथ रेट अनुमान घटाकर 5.8 फीसदी कर दिया गया है। इससे पहले इसका जीडीपी ग्रोथ अनुमान 6.2 फीसदी था। यानी मूडीज़ की ताज़ा रिपोर्ट में जीडीपी ग्रोथ अनुमान में 0.4 फीसदी की कटौती की गई है।

मूडीज़ की रिपोर्ट में कहा गया है कि 8 फीसदी तक GDP ग्रोथ रेट की जो संभावना थी उसको निवेश और मांग में आई कमी ने कमज़ोर किया है। इसके साथ ही ग्रामीण इलाकों में कैश की कमी और ग्रामीण घरों पर आर्थिक दबाव ने आर्थिक सुस्‍ती की समस्‍या को बढ़ा दिया है।

हार्वर्ड-IMF की रिपोर्ट से मनमोहन सिंह सही साबित हुए, नोटबंदी ने तबाह की देश की GDP

मूडीज ने आर्थिक सुस्‍ती के पीछे उच्च बेरोजगारी दर को भी बड़ी वजह बताया है। मूडीज का कहना है कि अगर अर्थव्यवस्था में सुस्ती जारी रहती है तो इसके कई गंभीर परिणाम होंगे। इस वजह से सरकार की राजकोषीय घाटा कम करने की कोशिश को भी झटका लगेगा। इसके साथ ही कर्ज का बोझ भी बढ़ता जाएगा।

हालांकि मूडीज ने वित्त वर्ष 2020-21 में हालात थोड़े बेहतर होने की उम्मीद जताई है। मूडीज़ के मुताबिक, 2020-21 में ग्रोथ रेट बढ़कर 6.6 फीसदी हो सकता है। मूडीज को उम्‍मीद है कि यह आंकड़ा आने वाले सालों में बढ़कर 7 फीसदी तक पहुंच जाएगा।

अर्थशास्त्री अरुण कुमार का दावा- आज देश की GDP 5% नहीं 0% है और जिसकी वजह नोटबंदी-जीएसटी है

इससे पहले पिछले हफ्ते आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी का अनुमान 6.9 फीसदी से घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया था। वहीं पिछले महीने एशियन डेवलपमेंट बैंक और द ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक कॉर्पोरेशन एंड डेवलपमेंट ने भी 2019-20 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटा दिया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here