उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए राज्य में सियासी सरगर्मियां शुरू हो चुकी है। सभी राजनीतिक दल चुनाव जीतने के लिए रणनीतियां बनाने में जुट गए हैं।
इसमें पारंपरिक रूप से विरोधी सपा और बसपा तो भाजपा का घेराव कर ही रहे हैं, तमाम क्षेत्रीय दल भी जोर आजमा रहे हैं।
इसके साथ ही कांग्रेस, TMC और एनसीपी जैसे राष्ट्रीय पार्टी दर्जा प्राप्त दल भी तमाम दावे कर रहे हैं।
दरअसल इस बार भाजपा के लिए जीत का रास्ता आसान नहीं होगा। क्योंकि कोरोना महामारी के दौरान भाजपा के कुप्रबंधन की तस्वीर सबके सामने आ चुकी है। भारी तादाद में लोग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से नाराज चल रहे हैं।
इस बीच खबर सामने आई है कि महाराष्ट्र सरकार में सहयोगी दल एनसीपी उत्तर प्रदेश चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने का फैसला लिया है।
एनसीपी के राष्ट्रीय महासचिव केके शर्मा ने इस संदर्भ में मीडिया से बातचीत के दौरान बताया है कि हमारी पार्टी उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने जा रही है।
एनसीपी का कहना है कि महाराष्ट्र की तरह हम मुख्य विपक्षी दलों के साथ गठबंधन कर भारतीय जनता पार्टी को हरायेंगे।
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ योगी सरकार को लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए एनसीपी नेता ने कहा है कि जो विपक्षी दल समान विचारधारा रखते हैं। जो भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए लड़ रहे हैं। हम उनके साथ गठबंधन करेंगे।
इस संदर्भ में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने अखिलेश यादव के साथ फोन पर बातचीत भी कर ली है। हालांकि अभी तक दोनों पार्टियों के बीच सीटों को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि शरद पवार अखिलेश यादव के साथ कुछ सीटों पर समझौता करेंगे या बिना शर्त समर्थन देंगे। जैसे कि अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव ने भाजपा को हराने के लिए ममता बनर्जी को बिना शर्त समर्थन दिया था।
NCP नेता के.के. शर्मा ने कहा है कि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने हम सभी को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए एक संदेश दिया है।
उनका कहना है कि राज्य में लोग रोजगार के लिए भटक रहे हैं। कई ऐसे मुद्दे हैं जो अभी तक सुलझ नहीं पाए हैं। हमें उन सभी पर काम करना होगा।
बता दें, हाल ही में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी ऐलान किया है कि इस बार वह बड़े राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन ना करके क्षेत्रीय पार्टियों के साथ हाथ मिलाएंगे।