मुंबई के आरे कॉलोनी में पेड़ कटने को लेकर विवाद और बढ़ता जा रहा है। भाजपा नेता और महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इन पेड़ों के कटने पर अपना समर्थन दिखाया है। लेकिन सरकार के इस फैसले का विरोध और कोई नहीं बल्कि महाराष्ट्र सरकार में शामिल शिवसेना ने ही कर दिया है।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पेड़ों को काटने पर गहरी नाराज़गी जताई है। उन्होंने कहा है कि आरे में पेड़ों को काटने का मुद्दा बेहद गंभीर है। महाराष्ट्र के चुनावी माहौल के बीच उद्धव ठाकरे ने कहा अगली सरकार हमारी होगी और अगर हमारी सरकार दोबारा सत्ता में आती है तो जिन लोगों ने पेड़ों का खून किया है उन्हें देख लेंगे।
उद्धव ठाकरे का ये बयान काफी हैरान करने वाला है। वह कह रहे हैं कि उनकी सरकार आती है तो वह पेड़ों का कत्ल करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। उनका ये बयान इसलिए चौंकाने वाला है क्योंकि मौजूदा समय में भी वह सरकार का हिस्सा हैं। इसके बावजूद वह ये कह रहे हैं कि कार्रवाई दोबारा से सत्ता में आने के बाद की जाएगी।
शायद वह अपने बयान को लेकर कंफ्यूज़ हैं, इसलिए वह मौजूदा वक्त में सरकार में रहते हुए वह बयानबाज़ी तो कर रहे हैं, लेकिन कोई स्टैंड नहीं ले रहे। शिवसेना प्रमुख के इसी दोहरे रवैये पर पत्रकार निधि राज़दान ने ज़ोरदार कटाक्ष किया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “क्योंकि अभी महाराष्ट्र में नेहरू सरकार सत्ता में है?”
Because right now Nehru’s Govt is in power in Maharashtra ? https://t.co/7eoJwd9PL4
— Nidhi Razdan (@Nidhi) October 5, 2019
दरअसल, मुंबई मेट्रो के लिए रास्ता बनाने के लिए ही 2 हज़ार से ज़्यादा पेड़ों को काटा जाना था। इसके खिलाफ लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की। लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने सभी याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया।
इस फैसले के खिलाफ आरे कॉलोनी के लोगों ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। तमाम विपक्षी नेता भी पेड़ों के कटने को गलत बता रहे हैं। प्रदर्शनकारियों के समर्थन में कांग्रेस नेता संजय निरुपम भी आ गए हैं। उन्होंने भाजपा पर सवाल उठाते हुए कहा कि “सरकार लोगों की इच्छा कैसे नज़रअंदाज़ कर सकती है? इस कार्य से जंगल और लोगों की ज़िदगी, दोनों बर्बाद हो जाएगी।” उन्होंने तो शिव सेना पर भी आरोप लगाए हैं की वो मुद्दे को गंभीरता से नहीं उठा रही।
तमाम विरोध प्रदर्शन के बावजूद, महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री के अलावा केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि पर्यावरण और विकास को एक साथ चलना चाहिए। आपको बता दें की वो भाजपा सरकार ही थी जिसने 5 सालों के अंदर 1 करोड़ से ज़्यादा पेड़ों को काटने की अनुमति दी थी। प्रकाश जावड़ेकर ही बताएँगे की इसमें उनकी सरकार को कौन सा पर्यावरण दिख रहा है।
लोग पेड़ लगाने के अभियान चला रहे हैं,
उधर मोदी घने जंगलों को कटवा रहे हैं.
जब बाड़ ही हरे भरे खेतों को खाने लगे,
और चौकीदार दिखावे का शोर कर रहे हैं.
सच जिंदा इंसान बोलता है,न की मुर्दा।