अगले साल 2022 में उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव होने हैं। चुनावों को अभी लगभग 8 महीने का वक्त बाकी है, लेकिन फिर भी भाजपा के मुख्यमंत्री पद के दावेदारों को लेकर सरगर्मी बनी हुई है।

उपमुख्यमंत्री केशवप्रसाद मौर्य के बाद अब श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी कहा है कि, “चुनाव जीतने के बाद ही केंद्रीय नेतृत्व उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री का चेहरा तय करेगा।”

पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुये स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2017 की बात करते हुये बताया कि, “2017 में भी पार्टी ने मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया था। 2022 में भी संगठन और केंद्र इस बारे में आखिरी में फैसला लेंगे।”

केशव प्रसाद मौर्य ने पहले ही अपने बयान में बताया है कि भाजपा की परम्परा रही है कि केंद्रीय नेतृत्व ही चुनाव के बाद मुख्यमंत्री चुनता है।

हालांकि उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की मानें तो योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ही उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी चुनाव लड़ेगी। उनसे ज्यादा मेहनती और ईमानदार मुख्यमंत्री कोई नहीं है।

आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी के बारे में बताते हुये स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, हम इस बार भी ज्यादा से ज्यादा सीटें जीत कर आयेंगे। हमने रणनीति बनानी शुरु करदी है।

मामला साफ है कि भाजपा के अंदर ही नेताओं में अभी ये स्पष्ट नहीं है यूपी का मुख्यमंत्री कौन बनेगा। एक धड़ा वो है जो योगी आदित्यनाथ को दोबारा मुख्यमंत्री बनते देखना चाहता है।

इसमें उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और राजनाथ सिंह जैसे दिग्गज नेता है।

लेकिन दुसरे धड़े में वो लोग हैं जिनके मन में शायद खुद मुख्यमंत्री बनने के अरमान हैं या वो योगी आदित्यनाथ की जगह लेना चाहते हैं जैसे केशव प्रसाद मौर्य और स्वामी प्रसाद मौर्य।

इतने बड़े नेताओं के बीच मुख्यमंत्री पद के दावेदार को लेकर असहमति लोगों के बीच पार्टी और नेताओं की छवि में जरुर बदलाव लाएगी और साथ ही जनता के बीच भ्रम पैदा करेगी।

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