देश के पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों की तैयारी में जुटी बीजेपी अपनी हर रैली में देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने का दम भरती नज़र आ रही है।

बीजेपी का दावा है कि इसी तरह वित्तीय विकास जारी रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हमारी अर्थव्यवस्था ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था से आगे निकल जाएगी।

लेकिन बीजेपी के इन दावों में कितनी सच्चाई है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हमारी अर्थव्यवस्था जो हाल ही में फ्रांस की अर्थव्यवस्था से आगे निकल गई थी वो रुपए के स्तर में लगातार जारी गिरावट और शेयर कीमतें घटने से पीछे हो गई है।

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बिज़नेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अब 2 लाख करोड़ डॉलर वाले बाजार पूंजीकरण क्लब का हिस्सा नहीं है। रुपये में कमजोरी और शेयर कीमतों में गिरावट से देश की बाजार कीमत घटकर 1.98 लाख करोड़ डॉलर रह गई है, जो जुलाई 2017 के बाद का निचला स्तर है। भारत का बाजार पूंजीकरण इस साल की शुरुआत के 2.47 लाख करोड़ डॉलर के सर्वोच्च स्तर से 20 फीसदी फिसला है।

इसके बावजूद बीजेपी अपनी तमाम रैलियों में अर्थव्यवस्था में बढ़ौतरी के मामले में अपनी पीठ थपथपाती नज़र आ रही है। रुपए के स्तर में गिरावट को देश की गरिमा से जोड़कर देखने वाली बीजेपी अब रुपए में गिरावट को देश की अर्थव्यवस्था के लिए फ़ायदेमंद बता रही है।

हैरानी की बात तो यह है कि बीजेपी कांग्रेस पर हमला करते हुए यह दावा कर रही है कि कांग्रेस के शासनकाल में महंगाई अपने उच्चतम स्तर पर थी। बीजेपी जनता को बता रही है कि उनके सत्ता में आने के बाद से महंगाई पर लगाम कस दी गई है।

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यह दावा बिल्कुल उसी तरह है जैसे दिन के उजाले में यह दावा किया जाए कि अभी रात है। पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें आसमान छू रही हैं और यह बात किसी से छुपी नहीं। जनता तेल की बढ़ती कीमतों की मार झेल रही है।

देशभर में इस महंगाई के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहे हैं। लेकिन फिर भी जनता के बीच बीजेपी में यह कहना का साहस है कि उनसे महंगाई को कम किया है।

अब सवाल उठता है कि आख़िर बीजेपी को यह साहस कहां से मिलता है कि वह जनता के बीच जाकर अपने उन कामों का प्रचार कर सके जिसे उसने किया ही नहीं।

क्या मोदी सरकार ने जनता को अपना मुरीद मान लिया है, जो अपने आका की हर बात को आंख बंद करके मान लेता है और उससे कोई सवाल नहीं करता। या फिर यह मान लिया जाए कि जनता को अब ‘जुमले’ सुनने की आदत हो चुकी है?

By: Asif Raza

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