भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे ‘दुधारू गाय’ रेलवे अब निजीकरण की तरफ बढ़ चुकी है। जिसकी शुरुआत तो पहले ही तेजस एक्सप्रेस से हो चुकी है। अब मोदी सरकार ने करीब 150 ट्रेनों को निजी हाथ में सौपने का फैसला ले लिया है। इस बारे में रेल मंत्रालय ने फैसला किया है कि भारतीय रेलवे ट्रेनों के संचालन को बड़े स्तर पर निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रहा है।

पहले चरण में 150 ट्रेनों को प्राइवेट कंपनियों को संचालन के लिए देने की तैयारी है। इस बारे में रेल मंत्रालय ने फैसला लेते हुए निति आयोग को पत्र लिखते हुए 400 रेलवे स्टेशनों को विश्व स्तर का बनाए जाने के काम को लेकर भी जिक्र किया है।

150 ट्रेनों को निजी हाथ में सौपने के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने लिखा- जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है और मेहुल भाई,मालिया,नीरव मोदी इस देश की संपत्ति लूट कर भाग रहे हैं, पहले सरकार ने रिजर्व बैंक पर सेंध डाला, और अब हमारे पब्लिक सेक्टर और रेलवे की संपत्ति बेच रही है। 150 ट्रेनें और 50 स्टेशनों का निजीकरण करा जा रहा है!

दरअसल नीति आयोग मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को 400 स्टेशनों को हाइटेक बनाने की बात कही है। जिसमें कहा गया है कि कई सालों से इसमें कहा गया है कि कई सालों से इस तरीके की बातें की जाती रही हैं। लेकिन वास्तव में इक्का-दुक्का स्टेशनों को छोड़कर कहीं पर इसे लेकर कुछ हुआ नहीं है।

नीति आयोग की तरफ से रेलवे बोर्ड को लिखे अपने पत्र में कहा गया है कि रेलवे स्टेशनों को विश्व स्तर का बनाने के काम को लेकर रेल मंत्री से चर्चा की गई है, जिसमें यह बात सामने निकलकर आई है कि 50 स्टेशनों को वरीयता के आधार पर विश्व स्तर का बनाया जाए, और इस काम निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाई जाए।

नीति आयोग ने रेलवे बोर्ड को इसके लिए देश के 6 एयरपोर्ट के निजीकरण के अनुभव के बारे में जिक्र करते हुए कहा है कि इसी तरीके का काम रेलवे के लिए भी किया जा सकता है। इसके लिए एक इंपावर्ड ग्रुप ऑफ सेक्रेट्रीज बनाने का सुझाव दिया गया है।

जिसमें नीति आयोग के सीईओ, चेयरमैन रेलवे बोर्ड, सेक्रेटरी डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स, सेक्रेटरी मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स को शामिल करके टाइम बाउंड तरीके से इस काम को आगे बढ़ाने की बात कही गई है।

इससे पहले पीएम मोदी ने रेलवे के निजीकरण की बातों को बेबुनियाद बताते हुए कहा था कि  रेलवे का निजीकरण नहीं किया जाएगा, हालांकि बाहर से पैसा आएगा जो रेलवे की सेहत सुधारेगा, फिर वो चाहे डॉलर हो या येन। मोदी ने ऐसा बोलकर तभी एक नई बहस को जन्म दे दिया था। मगर उस बयान का असल मतलब दिखाई देने लगा है।।

रेलवे अपनी हालात सुधारने के लिए निवेश की योजनाओं का खाका तैयार कर रहा है, जिसमें देशी और विदेशी पैसा रेलवे के खजाने में आएगा। केंद्र सरकार ने एफडीआई और पीपीपी मॉडल के जरिए रेलवे का कायाकल्प करने की तैयारी कर रखी है। ऐसे में मोदी के बयान से सवाल यह उठता है कि क्या वह निजीकरण के मसले पर झूठ बोल रहे हैं।

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