मोदी सरकरा का दूसरा कार्यकाल कई बड़ी सरकारी कंपनिया को रास नहीं आ रहा। बीएसएनएल के बाद अब ‘जीवन के बाद भी’ होने का दावा करने वाली भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) बर्बादी की कगार पर खड़ी है। एलआईसी को शेयर बाजार में निवेश से ढ़ाई महीने में करीब 57,000 करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है।
जानकारी के मुताबिक, एलआईसी को ये घाटा इसलिए हुआ क्योंकि एलआईसी ने जिन कंपनियों में निवेश किया था, उन कंपनियों के मार्केट वैल्यू में करीब 81 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। जिन कंपनियों में LIC ने इन्वेस्ट किया है उनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया SBI, ओएनजीसी, एलऐंडटी, कोल इंडिया, एनटीपीसी, इंडियन ऑयल और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी बड़ी कंपनियों का नाम शामिल है।
LIC को 57,000 करोड़ का नुकसान, ‘जीवन के बाद भी’ होने का दावा करने वाली कंपनी भी बर्बादी की कगार पर
बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक, जून तिमाही के अंत तक शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों में एलआईसी का निवेश मूल्य 5.43 लाख करोड़ रुपये का था, लेकिन अब यह घटकर महज 4.86 लाख करोड़ रुपये रह गया है। इस तरह महज ढाई महीने एलआईसी के शेयर बाजार में निवेश को 57,000 करोड़ रुपये की चपत लग चुकी है।
एलआईसी को हुए इस घाटे को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “भारत में LIC भरोसे का दूसरा नाम है। आम लोग अपनी मेहनत की कमाई भविष्य की सुरक्षा के लिए LIC में लगाते हैं। लेकिन भाजपा सरकार उनके भरोसे को चकनाचूर करते हुए LIC का पैसा घाटे वाली कम्पनियों में लगा रही है। ये कैसी नीति है जो केवल नुकसान नीति बन गई है”।
भारत में LIC भरोसे का दूसरा नाम है। आम लोग अपनी मेहनत की कमाई भविष्य की सुरक्षा के लिए LIC में लगाते हैं।लेकिन भाजपा सरकार उनके भरोसे को चकनाचूर करते हुए LIC का पैसा घाटे वाली कम्पनियों में लगा रही है।
ये कैसी नीति है जो केवल नुकसान नीति बन गई है।https://t.co/BBkdAA3z0q
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) September 20, 2019
एलआईसी को सरकार के विनिवेश एजेंडा को पूरा करने के लिए सरकारी कंपनियों के मुक्तिदाता की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले एक दशक में सार्वजनिक कंपनियों में एलआईसी का निवेश चार गुना हो गया है। आरबीआई के अनुसार साल 2019 तक एलआईसी ने कुल 26.6 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है।
जिसमें से अकेले पब्लिक सेक्टर की कंपनियों में 22.6 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है, सिर्फ 4 लाख करोड़ रुपये निजी क्षेत्र में लगाए गए हैं। वहीं अगर पब्लिक सेक्टर की बात करें तो एलआईसी का कुल निवेश का हिस्सा एक दशक पहले के 75 फीसदी की तुलना में अब 85 फीसदी हो चुका है।