कर्नाटक सरकार ने विधानसभा के अंदर मीडिया कवरेज पर तीन दिनों के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार के इस फैसले पर पत्रकारों और विपक्षी नेताओं ने आपत्ति जताई है। पत्रकार सरकार के इस फैसले के खिलाफ़ घरना प्रदर्शन कर रहे हैं तो विपक्षी नेता इसे लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ़ बता रहे हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री एवं जनता दल सेक्युलर (JDS) प्रमुख एचडी देवेगौड़ा ने सरकार के इस फैसले पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि उन्‍होंने कहा है कि वर्तमान सरकार के रवैये से साफ है कि उसका यह फैसला लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ है। सरकार जान बूझकर मीडिया की स्वतंत्रता को छीनना चाहती है। यह लोकतंत्र का गला घोटने के समान है।

उन्‍होंने आगे कहा कि प्रदेश सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी। देवेगौड़ा न कर्नाटक विधानसभा (Karnataka Assembly) के स्‍पीकर से फैसला वापस लेने की अपील भी की है। वहीं पत्रकारों ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ बेंगलुरू में मौर्या सर्किल के पास प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी विधानसभा अध्यक्ष से फैसला वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

बता दें कि बुधवार को कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष विशेश्वर हेगड़े कागेरी (Vishweshwar Hegde Kageri) ने निजी चैनलों पर सदन की कार्यवाही के लाइव प्रसारण पर रोक लगाते हुए आदेश जारी किया था। आदेश में कहा गया था कि विधानसभा में टीवी चैनलों के कैमरों को विधानसभा में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।

बताया जा रहा है कि सदन में मीडिया कवरेज पर रोक का विचार स्वयं राज्य के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) का है। येदियुरप्पा ने बीते दिनों ही कहा था कि वो राज्य के विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध करेंगे कि मीडिया को सदन की कार्यवाही को टेलीकास्ट करने पर रोक लगाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करें।

ग़ौरतलब है कि निजी चैनलों के पत्रकारों को सदन में जाने की इजाजत है।  लेकिन, उन सभी को सदन के अंदर किसी भी तरह की रिकॉर्डिंग करने की अनुमति नहीं है।

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