अपने एनकाउंटर्स को लेकर सवालों में घिरी रहने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस एक बार फिर झांसी एनकाउंटर को लेकर कटघरे में आ गई है। कहा जा रहा है कि झांसी में पुलिस ने पुष्पेंद्र यादव (Pushpendra Yadav) को इसलिए गोली मार दी क्योंकि उसने पुलिस को वसूली देने से इनकार कर दिया था।

समाजवादी पार्टी के कई नेताओं सहित सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने इस एनकाउंटर को फेक बताया है। इसके साथ ही अखिलेश यादव ने पुलिस एनकाउंटर में मारे गए पुष्पेंद्र यादव के परिजनों से मिलने का फैसला किया है। वह 9 अक्टूबर को पुष्पेंद्र के परिजनों से मिलने झांसी के करगुआ खुर्द जाएंगे।

बता दें कि शनिवार की रात पुष्पेंद्र पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। पुलिस का कहना है कि पुष्पेंद्र पर पुलिस ने गोली जवाबी कार्रवाई में चलाई थी। हालांकि सूत्रों की मानें तो पुलिस ने पुष्पेंद्र को इसलिए गोली मारी क्योंकि उसने ड्यूटी पर तैनात इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह चौहान को वसूली देने से इनकार कर दिया था।

मुस्लिम युवक को पुलिस ने मारी गोली, हाथ में बिना ट्रिगर की पिस्टल से उठे सवाल- फर्जी है एनकाउंटर ?

बताया जा रहा है कि पुष्पेंद्र को मारने के बाद पुलिस ने मामले को एनकाउंटर का रूप दे दिया। इस मामले दिलचस्प बात तो ये है कि इस मामले में झांसी पुलिस अपनी ही थ्योरी में फंसती नज़र आ रही है। दरअसल, जिस बाइक से पुष्पेंद्र को भागते बताया गया उस बाइक मालिक भी फरार बताया गया था। जबकि बाइक मालिक दिल्ली मेट्रो में ड्यूटी कर रहे सीआईएसएफ जवान रविंद्र की निकली। जो इस समय ड्यूटी पर है।

राज्यसभा सांसद डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव ने मुठभेड़ पर सवाल उठाते हुए पुलिस पर ह त्या की रिपोर्ट दर्ज किए जाने की मांग की है। वहीं, सपा कार्यकर्ताओं व परिजनों ने पुलिस पर कार्रवाई की मांग को लेकर मेडिकल कॉलेज के सामने शव रखकर प्रदर्शन भी किया।

परिजनों का कहना है कि जब तक इंसाफ़ नहीं मिलता वो पुष्पेंद्र का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। वहीं मामले को बढ़ता देख ज़िलाधिकारी ने इस मामले में मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश दे दिए हैं।

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