इस सर्वे को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पेश किया। जिन्होंने पिछले दिनों आरक्षण समीक्षा की बात कही थी। मगर उन्ही के सर्वे में पाया गया है कि आरक्षण एससी और एसटी और ओबीसी लड़कियों को उच्च शिक्षा हासिल करने में मददगार साबित हुई है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देश की महिलाओं की स्थिति को जानने के लिए सबसे बड़ा सर्वे करने का दावा किया है। इस सर्वे को खुद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पेश करते हुए कहा कि सर्वे बेहद महत्त्वपूर्ण है, इस सर्वे जुड़ने वाली बहनों ने कार्य आपने आप में बेहद महत्त्वपूर्ण है। सर्वे में महिलाओं कई अहम बातों का खुलासा हुआ है,जोकि सरकार को भी कटघरे में खड़ा करता है।

बीते मंगलवार को नई दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में भारत में महिलाओं की स्थिति पर एक बड़ी सर्वे रिपोर्ट जारी की। इस सर्वे को करते वाली संस्था दृष्टि स्त्री अध्ययन प्रबोधन केंद्र भी आरएसएस से जुड़ी हुई है।

जिसने दावा किया है कि महिलाओं पर किया गया ये सर्वे देश के 29 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशों की 74 हजार से अधिक महिलाओं से दो-दो घंटे बातकर तैयार किया गया है। इस सर्वे में महिलाओं के स्वास्थ रोजगार और समाज में भागीदारी को लेकर कई खुलासा हुआ है।

मसलन इसाई धर्म की महिलाएं रोजगार में अन्य धर्मों की महिलाओं से आगे है। (अब इसाई धर्म पर आरएसएस की क्या राय है ये बात हर कोई जानता है) वहीं स्वास्थ को लेकर सरकार की इतनी योजनाओं और प्रचारों के बावजूद महिलाओं को फायदा नहीं हो रहा है। सर्वे में बताया गया है कि इस देश में सिर्फ 50% महिलाएं ऐसी है जिन्हें दिन दो बार ही खाना नसीब हो पाता है।

वहीं 18 साल से कम की 64% लड़कियों को आज भी माहवारी (Menstrual cycle) से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सर्वे के अनुसार महिलाओं के लिए दूसरी सबसे बड़ी दिक्कत आर्थराइटिस है। ऐसे ही ब्लड प्रेशर की शिकायत से करीब भर्ती 5.28% महिलाएं सामना करती है।

इसी तरह हृदय रोग करीब 3.07%, डायबिटीज और 0.51% महिलाएं कैंसर से जूझ रही हैं। इस सर्वे में कहा गया है कि 40 प्रतिशत महिलाओं ने स्वीकार किया कि वह पिछले दो वर्ष में अस्पताल में भर्ती हो चुकी हैं।

महिलाओं के रोजगार पर भी सर्वे किया गया है। जिसमें दावा किया गया है कि रोजगार में इसाई महिलाएं आगे है। स्टडी सैंपल में रोजगार का सर्वाधिक प्रतिशत ईसाई समुदाय की महिलाओं में और उसके बाद हिंदू, बौद्ध, मुस्लिम, जैन और सिख समुदाय की महिलाओं में देखा गया है। सुर्वे में दावा किया गया है कि सबसे ज्यादा आदिवासी महिलाएं रोजगार से जुड़ीं हुई है।

वहीं ओपेन कैटेगरी में सबसे ज्यादा बेरोजगारी की दर रही। रोजगार से जुड़ी महिलाओं के बहुमत की शिकायत थी कि उन्हें बच्चों के लिए क्रेच  की सुविधा उपलब्ध नहीं है, इसके साथ कैंटीन, परिवहन और कार्यस्थल पर रेस्ट रूम की सुविधा भी नहीं मिलती, उनमें से 60% से भी अधिक को लोन सुविधा भी प्राप्त नहीं है।

आरक्षण से लड़कियों को मिल पा रही शिक्षा

इस सर्वे को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पेश किया। जिन्होंने पिछले दिनों आरक्षण समीक्षा की बात कही थी। मगर उन्ही के सर्वे में पाया गया है कि आरक्षण एससी और एसटी और ओबीसी लड़कियों को उच्च शिक्षा हासिल करने में मददगार साबित हुई है।

सर्वे में ये बताया गया है कि कई लड़कियों को अभी भी शादी और आर्थिक तंगी के चलते बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ती है। इस सर्वे में दो तिहाई महिलाएं अपने रुचि के विषयों के बारे में नहीं बता पाई। सर्वे में शामिल एक चौथाई महिलाओं ने बताया कि वह अपने लिए फुर्सत के पल नहीं निकाल पातीं।

इस सर्वे में एक और बात कही गई है जिसमें दावा किया गया कि आम महिलाओं के आध्यात्मिक महिलाएं ज्यादा खुश रहती है।

लिव इन पर भी सर्वे किया गया जिसमें दावा किया गया कि लिव इन में रहने वालीं महिलाओं की तुलना में शादी कर घर बसाने वालीं महिलाएं ज्यादा खुश रहती हैं। इस सर्वे में ये भी बात मानी गई है कि देश में करीब 90% ऐसी महिलाएं है जिनके पास परिवार और उनकी कोई आय नहीं है।

इन्हीं औरतों को अन्य औरतों से खुश बताया गया है। सिवाय उनके जिनके पास कम से कम दस हजार रुपये महीने की कमाई है। सर्वे में कहा गया है कि इससे पता चलता है कि पैसे का खुशियों से कोई नाता नहीं है।

खास बात ये भी रही कि इस सर्वे को जब पेश किया गया तो वहां देश की पहली वित्तमंत्री बनी निर्मला सीतारमण भी मौजूद थी। जहां उन्होंने कहा कि सर्वे में संसद की स्टैंडिंग कमेटियों में महिला चेयरमैन के न होने के सवाल पर कहा कि मैं यह नहीं कहती कि काबिल महिलाएं नहीं हैं।

मगर महिलाओं को रेस्ट जोन से बाहर निकलकर खुद आगे आना होगा। आरक्षण की बात ठीक है, मगर अवसरों का लाभ आगे बढ़कर उठाना होगा। महिलाओं को टोकन पार्टिसिपेशन नहीं चाहिए।

बता दें कि इस सर्वे को करने वाली संस्था ने दावा किया है कि ये अपने आप में महिलाओं पर किया गया अबतक सबसे सर्वे है। जिसे 1081 टीमों में बंटकर देश भर में निकलीं महिलाओं ने किया है। इसमें देश के 29 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के 485 जिलों की महिलाओं 74 हजार से अधिक महिलाओं से बातें कर यह सर्वे तैयार किया गया।

 

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