उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार के 4 साल पूरे हो चुके हैं। इस मौके पर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से एक आंकड़ा जारी किया गया है।
जिसमें दावा किया गया है कि योगी सरकार ने पिछले 4 सालों में 86 लाख किसानों का कर्ज माफ किया है जबकि सूचना के अधिकार से पता चला कि सरकार ने 86 लाख नहीं बल्कि सिर्फ 45 लाख किसानों का कर्ज माफ किया है।
मालूम हो कि 4 साल बेमिसाल के नारे के साथ योगी सरकार ने यूपी के 86 लाख किसानों के कर्ज माफी का दावा किया है लेकिन योगी सरकार के इस दावे की पोल सूचना के अधिकार ने खोल कर रख दी।
सूचना के अधिकार के तहत ये जानकारी मिली है कि योगी आदित्यनाथ के 4 साल के शासनकाल में 45 लाख 24 हजार 144 किसानों का कर्ज माफ हुआ है यानी कि आंकड़े को दोगुना करके बताया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश शासन के संयुक्त कृषि सांख्यिकी निदेशक डॉ शोभा रानी श्रीवास्तव ने आरटीआई एक्टिविस्ट राहुल कुमार द्वारा मांगी गई जानकारी के एवज में यह जवाब लिखित रुप से दिया।
अब आरटीआई में हुए इस खुलासे के बाद योगी सरकार के चार साल के रिपोर्ट कार्ड पर सवालिया निशान लग गया है और योगी सरकार की विश्वसनीयता भी संदेह के घेरे में आ गई है।
इसके बाद अब सरकार के रिपोर्ट कार्ड की सत्यता को लेकर सवाल उठने शुरु हो गए हैं।
आपको यह जानकर और भी हैरानी होगी कि योगी आदित्यनाथ सरकार की फसल ऋण माफी योजना के तहत किसानों की कर्जमाफी के सिर्फ किसानों की ही नहीं बल्कि रुपये के आंकड़ों में भी बड़ी गड़बड़ी सामने आ रही है।
आरटीआई के तहत निकाले गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 से 2020 तक किसानों की 25 हजार करोड़ की राशि माफ कर दी गई है
जबकि योगी सरकार का दावा है कि अब तक इस योजना के तहत प्रदेश में 36 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया गया है. अब किसके दावे को सही माना जाए. सरकार के या आरटीआई के?
वहीं सूचना के अधिकार से योगी सरकार के इस फर्जीवाड़े का खुलासा करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता राहुल कुमार ने कहा कि योगी सरकार चुनावी वर्ष में है।
जनता को लुभाने के लिए सरकार गलत रिपोर्ट पेश कर रही है। राहुल का कहना है कि ये तो सिर्फ एक योजना का सच है, संभव है कि ऐसा ही फर्जीवाड़ा अन्य योजनाओं में भी हुआ होगा।