केंद्र और उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के पहले कई तरह की अटकलों का सामना करना पड़ रहा है।

अभी मुख्यमंत्री पद के चेहरे के लिए पार्टी के भीतर ही असहमतियां चल रही थीं कि भाजपा की समर्थक, निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने भाजपा को धमकी भरे अंदाज में खुद को 2022 के चुनावों में उपमुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने की बात कही है।

संजय निषाद का कहना है कि भाजपा ने 2017 चुनावों में उन्हें वादा किया था कि उन्हें कैबिनेट में पोस्ट और राज्यसभा में सीट दी जाएगी लेकिन भाजपा ने ऐसा कुछ भी नहीं किया।

इसलिए संजय निषाद ने इस बार विधानसभा चुनावों के 8 महीने पहले ही भाजपा से उन्हें उपमुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाने की मांग की है।

उन्होंने सरकारी न्यूज़ एजेंसी ANI को दी गयी बाइट में इतना तक कह दिया कि अगर भाजपा हमें चोट पहुंचाएगी तो हम उन्हें भी खुश नहीं रहने देंगे।

अपने आरक्षण के मुद्दे की बात करते हुए संजय निषाद ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी ने उनसे वादा किया था कि निषादों के आरक्षण का मुद्दा वो सुलझा देंगे।

निषाद समाज को ताकत देंगे, समानता देंगे और उनके सभी अधिकार सुनिश्चित करेंगे।

बसपा और सपा सरकारों पर भी हमला करते हुए संजय निषाद ने कहा कि, नदियों और मछलियों को मारने में ही दोनों सरकारों ने निषादों से उनकी रोजीरोटी छीनी है।

इसलिए दोनों सरकारें चली गयीं। भाजपा भी ऐसे ही जाएगी। हमारे लोग भाजपा से बेहद नाराज हैं। हमें ना उपचुनावों में हिस्सेदारी मिली ना पंचायत चुनावों में।

2016 में बनी निषाद पार्टी मुख्य तौर पर निषाद जाति के सशक्तिकरण के लिए सामने आयी थी। निषाद जाति उन 20 समुदायों में से एक है जो परपंरागत रूप से अपना व्यवसाय नदियों के इर्द गिर्द ही करते हैं।

भाजपा से दूरी बनाने वाली निषाद पार्टी दूसरी राजनैतिक संगठन है। 2019 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने भाजपा ने अपने संबंध खत्म कर लिए थे।

अल्पसंख्यकों और पिछड़ी जातियों का लगातार भाजपा से अलग होते जाना एक बड़ा संकेत है कि वो स्पष्ट रूप से भाजपा ने नाखुश हैं। इसका बेहतर असर 2022 विधानसभा चुनावों में देखने को मिलेगा।

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