इन दिनों देश के सामने ऐसी ऐसी खबरें आ रही है कि व्यक्ति असहज हो जा रहा है और इन खबरों पर जिस प्रकार की प्रतिक्रियाएं राज्य सरकारें दे रही हैं, उस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी चुटकी ली और व्यंग्यात्मक प्रतिक्रिया दी।
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना संक्रमण की वजह से मर रहे लोगों का सम्मानजक प्रक्रिया के तहत विधि विधान से अंतिम संस्कार ने होने पर सुनवाई करते हुए कहा कि हमने एक वीडियो देखा है, जिसमें नदी में शव को बहाया जा रहा है।
हमें नहीं मालूम कि जिस भी चैनल ने इस वीडियो को दिखाया है, अब तक उसके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ है या नहीं !
सुप्रीम कोर्ट ने यह प्रतिक्रिया नदियों में लाशों को बहाए जाने की खबर सामने आने के बाद दी। देश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मरीजों के इलाज की बेहतर व्यवस्था, प्रबंधन और वैक्सीनेशन की नीति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी।
इस दौरान वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कोरोना से मर रहे लोगों की लाशों का सम्मानजनक तरीके से अंतिम संस्कार का मामला उठाया।
मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि आजकल ये देखने में आ रहा है कि कभी कोरोना फैलने के डर की वजह से तो कभी आर्थिक वजहों से लोग लाशों का उचित तरीके से अंतिम संस्कार नहीं कर रहे हैं, कोर्ट को इसका संज्ञान लेना चाहिए और राज्य सरकारों को निर्देश देना चाहिए कि विद्युत शवदाह गृहों की संख्या बढ़ाई जाए।
वहीं अंतिम संस्कार के वक्त निभाई जाने वाली धार्मिक औपचारिकताओं को भी इस तरह से पूरा करने का निर्देश दियाा जाए ताकी पंरपराओं का निर्वहन भी हो जाए और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया जल्द पूरी भी हो जाए।
इस चर्चा के बीच ही जजों ने कहा कि इस तरह का एक मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित पड़ा हुआ है. इस विषय पर आगे जरुर विचार किया जाएगा।
वहीं इस मामले की सुनवाई कर रहे 03 जजों की खंडपीठ के अध्यक्ष जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने यूपी की नदियों में बह रही लाशों के वीडियो की चर्चा कर दी।
जस्टिस ने कहा कि हो सकता है कि इस वीडियो को दिखाने वाले न्यूज चैनल पर अब तक राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हो गया हो।
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी भले ही व्यंग्यात्मक हो लेकिन ये उन राज्य सरकारों को कटघरे में खड़ा करती है जो आए दिन अपने राजनीतिक विरोधियों पर बेवजह एवं गलत तथ्यों के आधार पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करा देते हैं।