हरियाणा में आने वाले कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव होने है। ऐसे में राजनितिक दल हर तरह की कोशिश करते है कि वोटर उनसे जुड़े रहें। भारतीय राजनीती में ऐसे मौके ना के बराबर ही आते है कि किसी पार्टी ने अपने कार्यकर्ता को सिर्फ इसलिए निकाल दिया क्योंकि उसने चुनाव प्रचार में शराब बांटी।

दरअसल हरियाणा में स्वराज इंडिया के कार्यकर्ता पर शराब बांटने का आरोप लगा। इसके बाद पार्टी ने खुद इसकी जांच की और जब इस आरोप को सही पाया तो अपने कार्यकर्ता को पार्टी से निष्कासित करते हुए माफ़ी भी मांग ली।

इस बारे में खुद स्वराज इंडिया के संयोजक योगेन्द्र यादव ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी। उन्होंने लिखा- स्वराज इंडिया ने गन्नौर (सोनीपत) से श्रीमती सरोज बाला की उम्मीदवारी रद्द की।

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उनके बारे में शिकायत मिली कि वो चुनाव में शराब बांटने की योजना बना रही हैं। जाँच में शिकायत सही पाए जाने के बाद हमने उनका टिकट रद्द कर दिया। गलत व्यक्ति के चयन के लिए हम हरियाणा की जनता से माफी मांगते हैं।

स्वराज इंडिया ने इस बारें में सोशल मीडिया पर पत्र जारी करते हुए अपने उम्मीदवार की उम्मीदवारी वापस ले ली। अब सवाल ये उठता है कि ऐसा करने वाली स्वराज इंडिया शायद पहली राजनीतिक दल होगी क्योंकि चुनाव चाहे लोकसभा का हो या फिर विधानसभा या पंचायत शराब और पैसों के वितरण का आरोप से कोई राजनीतिक दल बच नहीं पाया है।

स्वराज इंडिया पार्टी खुद ऐसे एक्शन ले रही तो ऐसे में बड़े और छोटे सभी राजनीतिक दलों को उनसे सीख लेने की ज़रूरत है। मगर क्या बीजेपी कांग्रेस और बसपा सपा जैसे दल ऐसा रवैया या ऐसा कदम उठाएंगे? इस मामले में कुछ कहा नहीं जा सकता। मगर जो उदाहरण स्वराज इंडिया ने पेश किया कम से कम राजनीतिक दलों को उनसे इस मामले में सीख लेने की ज़रूरत है।

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