ऐसे समय में जब देश आर्थिक संकट से जूझ रहा है। देश की अर्थव्यवस्था तेज़ी से नीचे गिर रही है और मंदी की मार से बेराज़गारी का ग्राफ़ ऊपर जा रहा है। तब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की जनता को विश्वास में लेने के लिए इस संकट के उपाय बताने के बजाए ओम और गाय पर प्रवचन देते नज़र आ रहे हैं।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को पशुओं को बीमारियों से बचाने और स्वच्छता के लिए चलाए जा रहे एक अभियान के शुभारंभ के लिए उत्तर प्रदेश के मथुरा पहुंचे थे। यहां उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “ये देश का दुर्भाग्य है कि यहां कुछ लोगों के कान पर अगर ‘ओम’ और ‘गाय’ शब्द पड़ता है तो उनके बाल खड़े हो जाते हैं”।
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पीएम मोदी ने कहा, “गाय शब्द सुनते ही उनको लगता है कि देश 16वीं शाताब्दी में चला गया, ऐसा ज्ञान देश को बर्बाद करने वालों ने दिया है। जबकि गाय की ह त्या की बात सुनकर तकलीफ होनी चाहिए”।
अब सवाल ये उठता है कि क्या पीएम मोदी को नहीं पता कि गाय के नाम पर उग्र भीड़ इसी तकलीफ़ का हवाला देकर लोगों की ह त्या कर रही है। क्या ये पीएम मोदी की ज़िम्मेदारी नहीं है कि वह गाय की ह त्या पर इंसान की ह त्या को तरजीह दें और गाय के नाम पर इंसानों के कत्ल का विरोध करें।
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सबसे हैरानी की बात तो ये है कि पीएम मोदी ने ये बयान ऐसे समय में दिया है जब देश की अर्थव्यवस्था बेहद ख़राब दौर से गुज़र रही है। मंदी की मार से देश के तकरीबन सभी सेक्टर्स में हाहाकार मचा हुआ है। बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां जा रही हैं और आगे हालात में सुधार की कोई संभावना नज़र नहीं आ रही।
क्या ऐसे में पीएम मोदी की ज़िम्मेदारी नहीं है कि वह अर्थव्यवस्था पर चर्चा कर देश की जनता को विश्वास में लें और उन्हें बताएं कि उनकी सरकार इस संकट से किस तरह निपटेगी?