उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक ही परिवार के तीन भाइयों की एक के बाद मौत हो गई। उन तीनों को साँस लेने में तकलीफ हुई और शुक्रवार रात से लेकर अगले 24 घंटे के भीतर तीनों की सांसें हमेशा के लिए रुक गई।
‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ की खबर के मुताबिक, उन तीनों की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आयी थी, उसके बावजूद उन्हें साँस लेने में दिक्कत होने लगी।
पिछले एक हफ्ते से उनका इलाज चल रहा था। सबसे बड़े भाई (53) की मौत घर पर हुई और बाकि दोनों की मौत अस्पताल में इलाज के दौरान हुई।
डॉक्टरों का कहना है कि उन तीनों को निमोनिया था जिसके चलते उनकी तबियत इतनी बिगड़ गई। उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आयी थी, लेकिन परिजनों को आइसोलेट कर दिया गया है। डॉक्टरों का ये भी दावा है कि अस्पताल लाने के समय दोनों बीमार भाइयों की हालत पहले से ही ख़राब थी।
एक भाई की घर पर मौत हुई थी, लेकिन अस्पताल में भर्ती दोनों भाइयों की मौत भी साँस न ले पाने के कारण हो गई।
क्या असपताल में उन्हें पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाई थी? तीनों की एक साथ निमोनिया से जान चली गई? क्या सच में उन्हें कोरोना नहीं था?
खैर, मौत का असल कारण जो भी रहा हो। इस समय किसी भी बीमारी से पीड़ित मरीज़ के लिए अस्पतालों में भर्ती होना ही मुश्किल हो जा रहा है। जो भर्ती हो रहे हैं उन्हें ठीक से इलाज नहीं मिल पा रहा और प्रशासन खुदके ऊपर ज़िम्मेदारी भी नहीं ले रहा है।
उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटों में 30,596 कोरोना संक्रमण के मामले और 129 मौतें हो चुकी हैं। इस समय राज्य में कुल 1,91,457 एक्टिव कोरोना मामले हैं।
और ये सब तो सरकारी आंकड़ें हैं। कोरोना जाँच का रिजल्ट आने में ही दो-तीन दिन लग जा रहे हैं। कई लोग तो जाँच ही नहीं करवा रहे हैं।
इसके अलावा मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि कोरोना की वजह से मौतों के सरकारी आंकड़ें और शमशान घाटों पर जलाए जा रहे शवों के नंबर में भारी अंतर है।