साल 2019 में जम्मू कश्मीर में हुए पुलवामा आतंकी हमले पर पक्ष विपक्ष दोनों ने जमकर राजनीति की। यहां तक कि 2019 के लोकसभा चुनावों में पुलवामा आतंकी हमला वोट मांगने के लिए भाजपा का मुख्य मुद्दा ही बन चुका था।

हमले में शहीद हुए जवानों के लिए तरह तरह के वादे किए गए, लेकिन फिर भी पुलवामा आतंकी हमले में शहीद होने वाले कौशल किशोर के परिवार को धरने पर बैठने को मजबूर होना पड़ा है।

शहीद कौशल किशोर रावत का परिवार आगरा के करहई गांव के शहीद प्रतिमा स्थल के नीचे धरनारत है। उनकी पत्नी ममता रावत का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती वो धरने से नहीं उठेंगी।

गुरूवार को शहीद की पत्नी और परिवार से मिलने एडीएम सिटी, सीओ सदर समेत कई जिलाधिकारी मौके पर पहुंचे थे।

ममता ने शिक्षा विभाग पर शहीद के परिवार के लिए एकत्र की गई राशि परिवार को नहीं देने के आरोप लगाए हैं।

इसी मामले में ममता रावत ने उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी सहायता धनराशि परिवार तक पहुंचाने के लिए मदद मांगी थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलने पर आज वो धरने पर बैठी हैं।

दरअसल 2019 में हुए पुलवामा हमले के बाद शहीदों के लिए सहायता राशि जुटाने की मुहीम शुरू की गई थी।

आगरा के शहीद कौशल किशोर के लिए शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों ने मिलकर 65 लाख 57 हजार जितनी बड़ी राशि जमा करी थी, लेकिन ये कभी भी शहीद कौशल किशोर के परिवार तक पहुंची ही नहीं।

इसी राशि की मांग पर बैठी शहीद कौशल किशोर की पत्नी ममता ने इतना तक कहा है कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं होती तो वो आत्महत्या कर लेंगी।

खास बात ये है कि जब आगरा में ही एक ओर शहीद के पत्नी ममता रावत धरने पर बैठी थीं, उसी दिन उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा आगरा दौर पर थे।

जब उनसे शहीद के पत्नी ममता रावत से मिलने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सीधे कह दिया कि मैं उनसे फोन पर बात कर लूंगा।

लेकिन जिस स्थान पर ममता रावत धरने पर बैठी थीं उससे महज़ 5 किलोमीटर की दूरी पर नवनिर्वाचित जिलापंचायत अध्यक्ष के प्रीतिभोज समारोह में उपमुख्यमंत्री ने शिरकत जरूर की।

कौशल किशोर के परिवार का कहना है कि अधिकारियों और मंत्रियों के पास हर समस्या के लिए समय है, लेकिन हमसे मिलने तक कोई नहीं आ रहा।

पुलवामा हमले के बाद कई वादे किए गए लेकिन आचार संहिता लग गई थी। आज तक सरकारी वादे पूरे नहीं हुए हैं।

शहीद की पत्नी ने ये भी आरोप लगाया है कि उनके पति की शहादत का मजाक उड़ाया जा रहा है। शिक्षकों के एक दिन के वेतन की कुल राशि करीब 65 लाख रुपए होती है जो मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा है।

लेकिन ढाई साल बीत जाने के बाद भी उन्हें अभी तक पैसा नहीं मिला है। वो पैसा या तो शिक्षकों को वापस किया जाए या फिर उन्हें दिया जाए।

उन्होंने पति की प्रतिमा के अनावरण किए जाने की भी मांग की है। उनका कहना है कि स्कूल का नाम पति के नाम पर रखा जाए। गांव में द्वार बनवाया जाए।

कौशल के परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक है। साथ ही सरकारी लापरवाही के चलते उनके परिवार के सब्र का बांध भी टूट चुका है।

शहीद की पत्नी ममता ने कहा है कि योगी सरकार ने जरूर उस समय 25 लाख रुपये की मदद देने की पेशकश की थी और साथ ही शहीद स्मारक बनाने और सड़क का नाम शहीद कौशल कुमार रावत के नाम पर रखने की घोषणा की थी, लेकिन 25 लाख रुपय की मदद के बाद सरकार सब कुछ भूल गई है।

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