क्या आपको डा. कफील खान याद हैं? दो साल पहले, गोरखपुर मेडिकल कालेज में अगस्त-2017 में एक हफ्ते के अंदर 60 नवजात बच्चों की इंसेफेलाइटिस से मौत हुई थी ।

उस वाकये को याद करते डा. कफील खान कहते हैं “उस वाकये वाले दिन, एक डॉक्टर के तौर पर, एक पिता के तौर पर और एक सामान्य भारतीय के तौर पर, मैंने वह सब कुछ किया जो मैं कर सकता था। पर इसके नतीजे मुझे सलाखों के पीछे धकेल दिया गया । मीडिया नें मुझे आरोपी बना दिया, मेरे परिवार की अवमानना की गई और मैं अपनी नौकरी से निलंबित कर दिया गया ।”

कफील आगे कहते हैं “मुझे उस मामले में मोहरा बनाकर, प्रबन्धकीय असफलताओं को छिपाने की कोशिशें हुईं और मुझे नौ महीनों तक बिना किसी अपराध के जेल में रहना पड़ा ।” फिलहाल जाँच आयोग नें डॉक्टर कफील को भ्रष्टाचार, चिकित्सकीय लापरवाही और पूर्ण समर्पण से अपने दायित्व की पूर्ति न करने के आरोप से दोषमुक्त कर दिया है ।

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मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों द्वारा डॉक्टर कफील को बृहस्पतिवार 26-सितंबर-2019 को सौंपी गई जाँच रिपोर्ट के अनुसार “डॉक्टर कफील इंसेफेलाइटिस वार्ड के नोडल अधिकारी नहीं थे वावजूद इसके जिस दिन की यह घटना है उस दिन छूट्टी पर होने के वावजूद उन्होंने अपनी क्षमता भर वह सब कुछ किया जो 500 जम्बो आक्सीजन सिलिंडर की आपूर्ति हेतु अपनी व्यक्तिगत क्षमता में वो कर सकते थे ।”

15 पृष्ठों की जाँच रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है, कि डॉक्टर कफील की तरल आक्सीजन के सिलिंडर के रखरखाव, टेंडर और भुगतान प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं थी । जाँच रिपोर्ट इस बात को भी रेखांकित करती है, कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में, 10-12 अगस्त के दौरान 54 घंटों तक तरल आक्सीजन की कमी थी । जिसकी वजह से 60 से जादा नवजात शिशुओं की मौत अगस्त माह के एक हफ्ते के दौरान हुई । जो कि तरल आक्सीजन की आपूर्ति भुगतान न होने की वजह से रोक देने से हुई ।

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जाँच रिपोर्ट आ गई है और इसने डॉक्टर कफील को दोषमुक्त कर दिया पर असल सवाल यह है कि हफ्ते भर के भीतर 60 से भी जादा शिशुओं की जिंदगी लील जाने के असल अभियुक्त कौन हैं ?

वे कौन लोग थे, जिनके राक्षसी आचरण पर पर्दा डालने के लिए जानबूझकर डॉक्टर कफील को मोहरा बना कर इतनी बड़ी संख्या में हुई इन मौतों, जिन्हें ह त्या भी कहा जा सकता है, को साम्प्रदायिक छौंक देकर असल आरोपियों को बचाया गया ?

बड़ा सवाल यह भी है कि क्या प्रदेश की योगी सरकार जिस तरह कफील का नाम आते ही आनन फानन में त्वरित कार्यवाही करती दिखाई दी, वह असल दोषियों को शिकंजे में लेगी या तमाम मामलों की तरह यह मामला भी राजनीतिक रस्साकशी और राजनीतिक संरक्षण की एक और भद्दी मिसाल बन असल अपराधियों को बचा ले जायेगा ।

  • कश्यप किशोर मिश्र

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