वर्ष 2021 का यूपी पंचायत चुनाव देश की राजनीति के एक शर्मनाक अध्याय के रुप में लिखा जाएगा। चुनाव जीतने की हवस ने सत्ताधारी पार्टी को राजनीतिक दल की बजाय दरिंदा बन कर रख दिया।

लोकतंत्र की मान मर्यादा जो पिछले 70 सालों में प्रतिष्ठित हुई थी, उसे एक झटके में तार तार करके रख दिया लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में जिस बात ने सबका सिर झुका कर रख दिया है, वह है एक महिला का चीरहरण… वो भी उस प्रदेश में जहां की राज्यपाल एक महिला हैं।

आनंदी बेन पटेल यूपी की प्रथम नागरिक हैं। पंचायत चुनाव में लोकतंत्र की हत्या होती रही, एक महिला की इज्जत को भाजपा के नेताओं ने जूते की नोंक पर रखकर उसे तार तार करके रख दिया… क्या फायदा !

देश में नारी सशक्तिकरण पर बड़ी बड़ी बातें होती हैं ! महिला आरक्षण पर खूब संगोष्ठियां होती है… अगर ऐसी ही महिलाएं गद्दी संभालेंगी तो फिर क्या मतलब है महिला आरक्षण का !

यूपी के लखीमपुर खीरी में समाजवादी पार्टी की बीडीसी सदस्य अनिता यादव की जिस तरह से साड़ियां खींची गई, उसने महाभारत के उस दृश्य की याद दिला दी।

जब भरी राजसभा में कौरव पांचाली का चीर हरण कर रहे थे। यूपी में इतिहास ने खुद को दोहराया। कौरव सेना ने एक द्रौपदी के चीर हरण की कोशिश की।

उस द्रौपदी को बचाने तो भगवान श्रीकृष्ण आ गए थें, यहां कोई नहंी आया बल्कि जिनके कंधों पर एक महिला को बचाने की जिम्मेदारी थी, वह पुलिस मूकदर्शक बनकर तमाशा देखती रही। एक ऐसी राज्य की पुलिस.. जहां की महामहिम एक महिला हैं।

एक महिला राज्यपाल… जिसकी नाक के नीचे बैठे लोग एक महिला की अस्मत को तार तार कर रहे हो, वो गूंगी गुड़िया की तरह सिर्फ टुकुर टुकुर देखती रही।

उसके होने से अच्छा होता कि वह न होती। कम से कम संतोष तो होता। अब तो पीड़ा है, वेदना है, दर्द है। जिस राज्य की राज्यपाल एक महिला हो। वहां एक महिला के साथ इस प्रकार का वीभत्स कुकृत्य।

एक बात सबको याद रखनी चाहिए, इतिहास अपने आप को दोहराता जरुर है। भरी सभा में द्वापर युग में भी द्रौपदी का चीर हरण हुआ था। इस दौर में भी हुआ है। कौरव भी राजसत्ता चला रहा था। इस वक्त करने वाले भी शासन में हैं।

उस वक्त के पापियों यानी कौरवों का सर्वनाश हो गया था… आज कौरवों का कोई नाम लेने वाला नहीं है… इस वक्त के कौरवों का भी सर्वनाश होना तय है।

एक महिला की इज्जत को बीच बाजार निलाम करने वालों के साथ भी कुदरत इंसाफ करेगा और महामहिम राज्यपाल महोदया का नाम आधुनिक गांधारी के तौर पर लिखा जाएगा… जब सारे कुकर्म उनकी नजरों के सामने होते रहें और उनकी आंखों पर पट्टी बंधी रही।

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