निर्भया काण्ड के वक़्त जब पीड़िता की हालत गंभीर हुई तो तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने बिना देरी करते हुए उसे माऊंट एलिज़ाबेथ अस्पताल में एडमिट कराया था। अब जब उन्नाव पीड़िता की हालत में जब सुधार नहीं है तो मौजूदा मोदी सरकार इसपर कोई संज्ञान क्यों नहीं ले रही है।

इसी मामले पर राजनीतिक विश्लेषक संजय यादव ने लिखा- मनमोहन सरकार ने निर्भया का इलाज सिंगापुर में करवाया था। आदरणीय नरेंद्र मोदी जी, उन्नाव पीड़िता को इलाज के लिए आप लखनऊ से दिल्ली ही ले आओ। बेटी बचाओ अभियान की सार्थकता भी प्रमाणित हो जाएगी।

गौरतलब हो कि हादसे के बाद से ही पीड़िता किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में भर्ती है, जहां उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। पीड़िता के वकील की भी हालत स्थिर बनी हुई है।

स्वास्थ्य बुलेटिन के मुताबिक उन्नाव रेप केस की पीड़िता और उसके वकील की हालत नाजुक बनी हुई है। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) की ओर से गुरुवार दोपहर 11 बजे जारी मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक, पीड़िता और उनके वकील की हालत नाजुक बनी है। दोनों वेंटिलेटर पर रखे गए हैं। दोनों की सेहत में कोई सुधार नहीं हो रहा है।

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अब सवाल उठता है कि जिस ‘बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ’ नारे को मोदी सरकार ने जोर शोर उठाया था। उसपर जब अमल करने की बारी आई तो सरकार ने चुप्पी साध ली और इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना पड़ा है।

क्या उन्नाव पीड़िता का इलाज देश या विदेश के किसी अच्छे अस्पताल में नहीं हो सकता है? जहां उसकी जान बचाई जा सके ताकि असल मुजरिम को सजा मिल सके।

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