योगी सरकार ने एससी एसटी स्टूडेंट्स को मिलने वाली स्कॉलरशिप का नियम बदल दिया है। अब स्कॉलरशिप पाने के लिए एससी-एसटी छात्रों को 60% अनिवार्य रूप से लाना होगा। जबकि पहले कोई परसेंटेज की बाधा नहीं थी, यहां तक कि फेल छात्रों को भी ये स्कॉलरशिप मिलती थी।

योगी सरकार के इस फैसले से नाराज होकर तमाम दलित संगठनों ने 12 अक्टूबर को प्रोटेस्ट करने की चेतावनी दी है।

ध्यान देने की बात है कि इस पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप का 60% खर्च केंद्र वहन करती है और 40% है खर्च राज्य सरकार।

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पहले आर्थिक गरीबी के आधार सभी को मिलने वाले इस स्कॉलरशिप को खत्म करते हुए सरकार ने दलील दी है कि आर्थिक आधार पर रियायत नहीं दी जा सकती।

गौरतलब है कि यह वही सरकार है जिसने आर्थिक गरीबी को आधार बनाकर हाल ही में सवर्ण आरक्षण लागू किया है। इसलिए भी सरकार की इस फैसले को पूरी तरह से SC-ST विरोधी फरमान के रूप में देखा जा रहा है।

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इसपर प्रतिक्रिया करते हुए दिल्ली सरकार में समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने योगी सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने लिखा- जहां एक तरफ दिल्ली सरकार वंचित समुदाय के छात्रो को पढ़ने के लिए विदेश भेज रही है,’जय भीम योजना’ के तहत मुफ्त शिक्षा दे रही है, वही दूसरी तरफ यूपी सरकार के भेदभावपूर्ण रवैए के चलते SC/ST वर्ग के छात्रो का हक मार रही है। शर्मनाक!

दरअसल इससे पहले भी योगी सरकार पर दलितों और पिछड़ा विरोधी तमाम फैसला लेने का आरोप लग चुका है यहां तक कि उनके द्वारा की जा रही नियुक्तियों में भारी मात्रा में सिर्फ सवर्ण समाज के लोगों को नौकरी मिल रही है यानी दलित पिछड़े और आदिवासी समाज के लोगों को नाम मात्र का प्रतिनिधित्व मिल पा रहा है। जिससे नाराज होते हुए तमाम विपक्षी दल और सामाजिक संगठन उन्हें जातिवादी और मनुवादी मानसिकता का करार रहे हैं।

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