उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र, गोरखपुर से कोरोना जांच में बड़ी धांधली की खबर सामने आयी है।
कोरोना की जांच करने वाली बेतियाहाता स्थित पैथवर्ड डायग्नोस्टिक ने करीब 10 हजार लोगों की कोरोना रिपोर्ट छुपा कर रखी। पैथवर्ड लैब ने 16 अप्रैल के बाद से अपने ऑनलाइन पोर्टल पर किसी भी मरीज की कोरोना रिपोर्ट अपडेट नहीं की है।
मामले की जानकारी मिलते ही पैथवर्ड लैब का लाइसेंस तत्काल निरस्त कर दिया गया है और आगे की जांच के लिए सी.एम.ओ ने तीन सदस्य कमिटी का भी गठन किया है।
उत्तर प्रदेश में कोरोना रिपोर्टों में धांधली का ये कोई पहला मामला नहीं है। पूरे प्रदेश में अब तक 26 हजार से ज्यादा मरीजों के सैंपल लंबित हैं। इन 26 हजार में से 10,105 सैंपल अकेले पैथवर्ड लैब में रोके गए हैं।
इसका मतलब ये है कि 26 हजार से ज्यादा ऐसे लोग हैं जिन्होंने कोरोना के लक्षण होने पर या कोरोना संक्रमितों के संपर्क में होने पर जांच करवायी लेकिन उनकी रिपोर्ट कभी आयी ही नहीं। महामारी के बीच इतनी बड़ी लापरवाही होने से करोड़ों लोगों की जान जोखिम में है।
शुक्रवार को जब स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पैथवर्ड डायग्नोस्टिक पहुंच कर जांच की और मामला सही पाया,
तब लैब ने पॉजिटिव रिपोर्ट अपने पोर्टल पर अपडेट करना शुरू किया। अपडेट करने की रफ्तार भी इतनी तेज कि एक दिन में 1200 मामले अपडेट कर दिए गए।
स्वास्थ्य विभाग की इस जांच के बाद सभी लाइसेंसधारी कोरोना की जांच करने वाली संस्थाओं को एंटीजेन और आर.टी.पी.सी.आर जांच के नतीजे 48 घंटे के अंदर ही ऑनलाइन अपने अपने पोर्टलों पर अपडेट करने के निर्देश दिए गए हैं।
उत्तर प्रदेश में कोरोना के मरीजों की संख्या कम होने के पीछे शायद ऐसी है लैबों में लंबित रिपोर्टों का बाहर ना आना है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़ाना हजारों मौतें कोरोना जैसे लक्षणों से हो रही है।
गंगा के किनारे पर लाशों की गिनती मुश्किल है, वैक्सीन सेंटरों से वैक्सीन नदारद है, लेकिन फिर भी उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के राज में कोरोना मामलों की संख्या कम करने के लिए इस तरह की लापरवाही की जा रही है।