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]]>मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज रखे जाने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।
उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कुंभ से पहले ही इलाहाबाद का नाम पूरी तरह से प्रयागराज कर दिया जाएगा। अपने इस फ़ैसले के बाद से योगी सरकार विपक्षियों के निशाने पर है।
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बाद अब आम आदमी पार्टी ने नाम बदले जाने के फ़ैसले को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं।
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने ट्वीट कर लिखा,
“इलाहाबाद का नाम बदलते ही प्रदेश के बेरोज़गारों को नौकरी मिल गई, नलों में साफ़ पानी आने लगा, अस्पताल में ऑक्सिजन पहुँच गई है। अब मोदी का नाम मोती योगी का नाम ढोंगी रख दो सारे देश, प्रदेश की समस्या हल हो जायेगी, नाम नही काम बदलो”।
इलाहबाद का नाम बदलते ही प्रदेश के बेरोज़गारों को नौकरी मिल गई, नलों में साफ़ पानी आने लगा, अस्पताल में ऑक्सिजन पहुँच गई है अब मोदी का नाम मोती योगी का नाम ढोंगी रख दो सारे देश,प्रदेश की समस्या हल हो जायेगी, नाम नही काम बदलो। https://t.co/irCLzhQ7a2
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) October 16, 2018
इससे पहले सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे आस्था के साथ खिलवाड़ बताया था। उन्होंने लिखा था, “राजा हर्षवर्धन ने अपने दान से ‘प्रयाग कुम्भ’ का नाम किया था और आज के शासक केवल ‘प्रयागराज’ नाम बदलकर अपना काम दिखाना चाहते हैं। इन्होंने तो ‘अर्ध कुम्भ’ का भी नाम बदलकर ‘कुम्भ’ कर दिया है। ये परम्परा और आस्था के साथ खिलवाड़ है।”
राजा हर्षवर्धन ने अपने दान से ‘प्रयाग कुम्भ’ का नाम किया था और आज के शासक केवल ‘प्रयागराज’ नाम बदलकर अपना काम दिखाना चाहते हैं. इन्होंने तो ‘अर्ध कुम्भ’ का भी नाम बदलकर ‘कुम्भ’ कर दिया है. ये परम्परा और आस्था के साथ खिलवाड़ है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 15, 2018
वहीं कांग्रेसी नेता प्रमोद तिवारी ने भी इसपर कड़ा ऐतराज़ जताते हुए कहा था, ”बीजेपी सरकार काम कोई नहीं करती है बस नाम बदलने पर भरोसा रखती है।
इलाहाबाद का एक इतिहास, सभ्यता और प्रशासनिक वजूद रहा है उसको ख़त्म किया जा रहा है। हम लोगों को उसकी गरिमा को कम होने से रोकना चाहिए।”
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]]>मुख्यमंत्री के इस ऐलान के बाद बीजेपी को चौतरफ़ा आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। विपक्षी नेताओं से लेकर कई पत्रकारों ने नाम बदले जाने के पीछे की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं।
समाजवादी पार्टी प्रमुख एवं सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे आस्था के साथ खिलवाड़ बताया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा,
“राजा हर्षवर्धन ने अपने दान से ‘प्रयाग कुम्भ’ का नाम किया था और आज के शासक केवल ‘प्रयागराज’ नाम बदलकर अपना काम दिखाना चाहते हैं। इन्होंने तो ‘अर्ध कुम्भ’ का भी नाम बदलकर ‘कुम्भ’ कर दिया है। ये परम्परा और आस्था के साथ खिलवाड़ है।”
राजा हर्षवर्धन ने अपने दान से ‘प्रयाग कुम्भ’ का नाम किया था और आज के शासक केवल ‘प्रयागराज’ नाम बदलकर अपना काम दिखाना चाहते हैं. इन्होंने तो ‘अर्ध कुम्भ’ का भी नाम बदलकर ‘कुम्भ’ कर दिया है. ये परम्परा और आस्था के साथ खिलवाड़ है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 15, 2018
वहीं कांग्रेसी नेता प्रमोद तिवारी ने भी इसपर कड़ा ऐतराज़ जताया है। उन्होंने कहा, ”बीजेपी सरकार काम कोई नहीं करती है बस नाम बदलने पर भरोसा रखती है।
इलाहाबाद का एक इतिहास, सभ्यता और प्रशासनिक वजूद रहा है उसको ख़त्म किया जा रहा है। हम लोगों को उसकी गरिमा को कम होने से रोकना चाहिए।”
इसके साथ ही वरिष्ठ पत्रकार आशीष यादव ने बीजेपी सरकार द्वारा शहरों और स्टेशनों के नाम बदले जाने को लेकर कटाक्ष किया है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी को क्योटो बनाने के वादे को याद करते हुए ट्विटर के ज़रिए कहा कि मुग़लसराय दीनदयाल नगर बन गया और इलाहाबाद प्रयागराज बन गया, लेकिन वाराणसी अभी भी वाराणसी है वो क्योटो कब बनेगा? उन्होंने गंगा सफ़ाई को लेकर भी सवाल खड़े किए।
मुग़लसराय दीनदयाल नगर बन गया, इलाहाबाद प्रयागराज बन गया , लेकिन बनारस क्योटो कब बनेगा ? माँ गंगा कब साफ़ होंगी ?
— Aashish Yadav (@aashishsy) October 15, 2018
बता दें कि रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि कुछ संतों ने उन्हें इलाहाबाद में ये प्रस्ताव दिया था। जिसे सरकार ने मंजूरी दे दी है, राज्यपाल राम नाईक ने भी इस प्रस्ताव पर हामी भरी है।
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