मुग़लसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदले जाने के बाद अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संगम नगरी इलाहाबाद का नाम बदलकर ‘प्रयागराज’ रखने का ऐलान किया है।
मुख्यमंत्री के इस ऐलान के बाद बीजेपी को चौतरफ़ा आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। विपक्षी नेताओं से लेकर कई पत्रकारों ने नाम बदले जाने के पीछे की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं।
समाजवादी पार्टी प्रमुख एवं सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे आस्था के साथ खिलवाड़ बताया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा,
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“राजा हर्षवर्धन ने अपने दान से ‘प्रयाग कुम्भ’ का नाम किया था और आज के शासक केवल ‘प्रयागराज’ नाम बदलकर अपना काम दिखाना चाहते हैं। इन्होंने तो ‘अर्ध कुम्भ’ का भी नाम बदलकर ‘कुम्भ’ कर दिया है। ये परम्परा और आस्था के साथ खिलवाड़ है।”
राजा हर्षवर्धन ने अपने दान से ‘प्रयाग कुम्भ’ का नाम किया था और आज के शासक केवल ‘प्रयागराज’ नाम बदलकर अपना काम दिखाना चाहते हैं. इन्होंने तो ‘अर्ध कुम्भ’ का भी नाम बदलकर ‘कुम्भ’ कर दिया है. ये परम्परा और आस्था के साथ खिलवाड़ है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 15, 2018
वहीं कांग्रेसी नेता प्रमोद तिवारी ने भी इसपर कड़ा ऐतराज़ जताया है। उन्होंने कहा, ”बीजेपी सरकार काम कोई नहीं करती है बस नाम बदलने पर भरोसा रखती है।
इलाहाबाद का एक इतिहास, सभ्यता और प्रशासनिक वजूद रहा है उसको ख़त्म किया जा रहा है। हम लोगों को उसकी गरिमा को कम होने से रोकना चाहिए।”
इसके साथ ही वरिष्ठ पत्रकार आशीष यादव ने बीजेपी सरकार द्वारा शहरों और स्टेशनों के नाम बदले जाने को लेकर कटाक्ष किया है।
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उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी को क्योटो बनाने के वादे को याद करते हुए ट्विटर के ज़रिए कहा कि मुग़लसराय दीनदयाल नगर बन गया और इलाहाबाद प्रयागराज बन गया, लेकिन वाराणसी अभी भी वाराणसी है वो क्योटो कब बनेगा? उन्होंने गंगा सफ़ाई को लेकर भी सवाल खड़े किए।
मुग़लसराय दीनदयाल नगर बन गया, इलाहाबाद प्रयागराज बन गया , लेकिन बनारस क्योटो कब बनेगा ? माँ गंगा कब साफ़ होंगी ?🤔
— Aashish Yadav (@aashishsy) October 15, 2018
बता दें कि रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि कुछ संतों ने उन्हें इलाहाबाद में ये प्रस्ताव दिया था। जिसे सरकार ने मंजूरी दे दी है, राज्यपाल राम नाईक ने भी इस प्रस्ताव पर हामी भरी है।