कोरोना महामारी के कहर से उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर, आगरा और इलाहबाद जैसे बड़े शहरों में सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद अब इस बीमारी की वजह से स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित ग्रामीण इलाकों में भी हाहाकार मचा है।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने सरकार से कोरोना के फैलने की रोकथाम करने की मांग की है।

मायावती ने अपने आधिकारिक अकाउंट पर ट्वीट कर लिखा, “यूपी में पंचायत चुनाव की समाप्ति के बाद अब यहाँ खासकर छोटे कस्बों व देहातों में बहुत तेजी से कोरोना महामारी के फैलने की दिल दहलाने वाली खबरें मिल रही हैं। लोग काफी दहशत में हैं। सरकार को इसकी रोकथाम के लिए युद्ध स्तर पर कार्य करने की सख्त जरूरत है, बी.एस.पी की यह माँग।”

इसी के साथ उन्होनें उन राज्यों की सरकारों को भी इसपर ध्यान देने की सलाह दी जिनके यहाँ हाल ही में विधानसभा आमचुनाव खत्म हुए हैं।

मायावती का कहना है की चुनावों के बाद शहरों के साथ-साथ देहातों में भी कोरोना माहमारी का प्रकोप काफी तेज़ी से फ़ैल रहा है।

मायावती ने सर्वोच्च न्यायलय के फैसले पर सरकार को याद दिलाते हुए कहा, “माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी अभी हाल ही में राज्यों को कोरोना इलाज के लिए आक्सीजन के बंटवारे व सप्लाई आदि को लेकर अपने फैसले में केन्द्र सरकार को जो कदम उठाने के खास निर्देश दिये हैं, सरकार इस पर शीघ्र ही पूरी तरह से अमल जरूर करे तो यह बेहतर होगा।”

हाल ही में ‘बैकवर्ड रीजन ग्रांट फण्ड (BRGF)’, जो कि भारत सरकार के पंचायती राज सिस्टम को मज़बूत करने का एक प्रोग्राम है, उसकी रिपोर्ट में कुछ हैरान कर देने वाले तथ्य सामने आए हैं।

इसने 272 जिलों पर अपनी रिसर्च की है जिनमें से 243 जिलों का डाटा उपलब्ध है। BRGF के अनुसार इन जिलों में 39.16 लाख लोग 5 मई तक कोरोना संक्रमित थे।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक ये आंकड़ा पिछले साल के 16 सितम्बर के आंकड़ें से चार गुना है। तब कोरोना संक्रमण के रिकॉर्डतोड़ 9.5 लाख मामले दर्ज हुए थे।

ये वही समय था जब भारत में कोरोना की पहली लहर अपने पीक पर थी। कोरोना की दूसरी लहर का अभी पीक आया भी नहीं है, और हालात इतने बुरे हो चले हैं।

भारत के ये इलाके पिछड़े हैं, अस्पतालों की सुविधाओं से वंचित है, केंद्र और राज्य सरकारें इनपर ध्यान भी नहीं दे रही हैं।

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