इनदिनों उत्तर प्रदेश में बेटियों के साथ अत्याचार की घटनाएं काफी बढ़ गईं हैं। करीब एक हफ्ते में अकेले लखीमपुर में दो घटनाएं घटी है फिर चित्रकूट से लेकर बदायूं तक दिल-दहला देने वाली घटनाएं देखने को मिली है।

पहले लखीमपुर के निघासन में दो नाबालिग दलित बेटियों के साथ गैंगरेप कर पेड़ से लटका देने का मामला आया

फिर दूसरा मामला लखीमपुर के मूसेपुर गांव का सामने आया जहां घर में घुसकर बेटी के गैंगरेप करने की कोशिश की कोशिश में नाकाम दंबगों ने बेटी को बेरहमी से पीटा।

इस मामले में आरोपी युसुफ और करीमुद्दीन को पुलिस बचाती रही। बेटी की माँ और भाई दर-दर पुलिस स्टेशन में इंसाफ का दरवाजा खटखटाते रहे लेकिन किसी पुलिस स्टेशन में उन्हें न्याय नहीं मिला।

आखिरकार बेटी की 5 दिन बाद तबीयत बिगड़ी और 16 सितंबर को उसकी मौत हो गई फिर प्रशासन की नींद भी टूटी।

सोते हुए प्रशासन की ऐसी नींद टूटी कि आनन-फानन में कल 18 सितंबर को बेटी के शव को बुलडोजर से गड्डा करके दफना दिया गया।

इस वीडियो के सामने आने के बाद तमाम सवाल उठे। एक ओर प्रशासन की लापरवाही ने बेटी की जान ले ली दूसरी तरफ मरने के बाद भी उसे दफनाया तक सही से नहीं गया।

कांग्रेस ने इस तरह बेटी का शव दफनाने पर लिखा कि, यूपी के लखीमपुर की तस्वीर है। पुलिस ने JCB से गड्ढा खुदवाकर एक लड़की की लाश दफना दी।

बेटी बचाओ का दावा करने वाले बेटियों की लाश कभी रात में जबरन जला देते हैं तो कभी गड्ढा खोदकर दफना देते हैं।

ये है जंगलराज, लेकिन कोई न्यूज चैनल बोलेगा नहीं।

इसके अलावा पत्रकार सौरभ शुक्ला ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, पहले इंसाफ़ नहीं फिर मरने के बाद इज़्ज़त भरा अंतिम संस्कार तक नहीं… क्या यही अमृतकाल है?

आपको बता दें कि, हाथरस में भी प्रशासन ने जल्दबाजी में बेटी के शव को जबरन जला दिया था। जिसके बाद सरकार और प्रशासन की काफी किरकिरी हुई थी। तमाम सवाल उठे थे।

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