भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ 8 जून से ही जेल में हैं। अदालत से जमानत मिलने के बाद भी चंद्रशेखर को योगी सरकार ने राष्ट्र के लिए खतरा बताकर जेल में बंद कर रखा है। आज़ाद की गिरफ्तारी के वक्त भीम आर्मी के 42 और कार्यकर्ताओं को जेल में बंद किया गया था। धीरे-धीरे सब छूट गए लेकिन चंद्रशेखर, सोनू पहलवान और कमल वालिया अब भी जेल में बंद हैं।
1 नवंबर 2017 को चंद्रशेखर और कमल वालिया को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत भी मिल गई थी लेकिन 22 नवंबर को चंद्रशेखर और सोनू पहलवान पर रासुका लगा दी गई। चंद्रशेखर की रिहाई के लिए लगातार प्रदर्शन और आंदोलन किए जा रहे हैं लेकिन सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा।
चंद्रशेखर की रिहाई के लिए गांधीवादी मानव अधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार अपने साथियो के साथ पद यात्रा कर रहे है। ये यात्रा 6 मार्च को दिल्ली के राजघाट से शुरू हुई है जो 17 मार्च को सहारनपुर केंद्रीय जेल पहुंचेगी।
इस यात्रा का कार्यक्रम कुछ इस प्रकार है-
6 मार्च 2018
राजघाट से पदयात्रा शुरू
रात्री पड़ाव साहिबाबाद में 15 किमी
7 मार्च
साहिबाबाद से गाजियाबाद 13 किमी
8 मार्च
गाजियाबाद से मुरादनगर तक 14 किमी
9 मार्च
मुरादनगर में सभा
मोदी नगर मे सभा 12 किमी
मोहुद्दीनपुर 7 किमी
रात्री पड़ाव
10 मार्च
मोदीनगर से मेरठ 22 किमी
11 मार्च
मेरठ से दौराला 15 किमी
12 मार्च
दौराला से खतौली तक सकौती 20 किमी
13 मार्च
खतौली से मुज़फ्फरनगर तक 24 किमी
14 मार्च
मुजफ्फरनगर से देवबंद तक 23 किमी
15 मार्च
देवबंद से नागल 17 किमी
16 मार्च
नागल से गगलहेरी 17 किमी
17 मार्च
गागलहेरी से 12 किमी
सहारनपुर केन्द्रीय जेल
पूर्व निर्धारित योजना के तहत 13 मार्च को जब हिमांशु कुमार मुज़फ्फरनगर पहुंचे तो मुस्लिम समाज के लोगों ने फूल माला पहनकर उनका और बाकी पद यात्रियों का स्वागत किया। दलित मुस्लिम एकता के नारों के साथ चंद्रशेखर की जेल से रिहाई के लिए जमकर नारेबाजी की गई।
वहां समाजसेवी हिमांशु कुमार ने बताया की वो राजघाट दिल्ली से सहारनपुर जेल तक अपने दो साथी कृष्णा और संजीव के साथ वो पैदल यात्रा कर रहे है। इस पद यात्रा का उद्देश्य उत्तर प्रदेश सरकार से भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर और उनके सभी साथियो की रिहाई कराना है।
इस पद यात्रा को शुरू करने से पहले मानव अधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार एक फेसबुक पोस्ट लिखा था। इस पोस्ट के जरिए उन्होंने बताने की कोशिश की थी चंद्रशेखर आजाद की रिहाई क्यों जरूरी है।
हिमांशु कुमार का पोस्ट-
”अगर आप अमेरिका की जेलों को देखें तो वहां ज्यादातर काले लोग बंद हैं। अगर आप भारत की जेलों को देखें तो जेलों में ज्यादातर आप को दलित आदिवासी मुसलमान और गरीब लोग मिलेंगे।
आखिर क्या कारण है कि हमारी जेलों में वही लोग बंद हैं, जो सामाजिक तौर पर कमजोर हैं और आर्थिक तौर पर जिन्हें मेहनती होने के बावजूद गरीब बनाकर रखा गया है।
ध्यान दीजिए कहीं ऐसा तो नहीं है कि हम दूसरों की मेहनत से जो अमीर बने बैठे हैं। हम जानबूझकर गरीबों में खौफ पैदा करने के लिए उन्हें जेलों में ठूंस देते हैं। सारी दुनिया का अनुभव तो यही बताता है।
सबसे खतरनाक बात यह है कि दलितों आदिवासियों मुसलमानों को जेल में छोटे-छोटे अपराधों में ठूंस देने के बावजूद इस देश के अमीर शहरी पढ़े-लिखे एलीट लोग कोई आवाज नहीं उठाते। अन्याय का सामना करना, अन्याय का विरोध करना हर इंसान का फर्ज है।
लेकिन हम अन्याय का विरोध करते समय या तो जाति या मजहब या आर्थिक वर्ग के स्वार्थ से खुद को जोड़कर चुप हो जाते हैं। असल में हमारे अपने स्वार्थ इन गरीब लोगों को जेलों में ठूँसने से ही पूरे होते हैं।
अगर हम इस अन्याय से नहीं लड़े, अगर हमने इस अन्याय को समाप्त नहीं किया तो हमारे बच्चे भी अन्याय को सहन करना और अन्याय को जारी रखना सीख जाएंगे।
और जो समाज अन्याय को जारी रखता है उस समाज में कभी शांति नहीं आ सकती। इसलिए आप अगर अपने बच्चों को अन्याय सहना और अन्याय करना सिखा रहे हैं तो आप अपने बच्चों को एक अशांत दुनिया बनाना भी सिखा रहे हैं।
अगर आपको शांति चाहिए तो न्याय के लिए आवाज उठाइए। 6 मार्च को राजघाट से सहारनपुर तक दलित अस्मिता की लड़ाई लड़ने वाले साथी चंद्रशेखर की रिहाई के लिए यात्रा शुरू होगी। कुछ कदम जरूर साथ चलिए, अन्याय के खिलाफ आवाज में अपनी आवाज मिलाइए