देश की रक्षामंत्री पास बहुत फुरसत है। इतनी ज्यादा फुरसत की वो विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही हैं। लेकिन राफेल पर सफाई देने के लिए उनके पास समय नहीं है। वैसे मोदी सरकार में कोई मंत्री अपने मंत्रालय को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करता।

गत मंगलवार को निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जेएनयू में कुछ ताकतें हैं, जो भारत के खिलाफ “युद्ध छेड़ रही हैं”

उनका कहना है कि “कुछ ऐसी ताकतें हैं जो भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ रही हैं और वे छात्र संघ के निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ भी देखे जाते हैं। इससे मैं असहज महसूस करती हूं।’’

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क्या रक्षामंत्री का ये बयान निहायती बेतुका नहीं है? सबसे पहली बात ये कि अगर JNU में भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ा गया है तो ये आतंरिक सुरक्षा का मामला है। इसपर गृहमंत्री राजनाथ सिंह को प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी चाहिए।

दूसरी बात निर्मला सीतारमण को ये कैसे पता चला कि JNU में भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ा गया है? क्या रक्षा मंत्री के पास गृह मंत्रालय या राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से कोई इनपुट मिला है? या उन्होंने सिर्फ कैंपस में दिखने वाले पैम्फलेट और ब्रोशर से अपनी राय बना ली?

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इससे भी जरूरी बात कि कौन खलिहर है जो JNU का पैम्फलेट और ब्रोशर रक्षामंत्रय में पहुंचा रहा है? और सबसे जरूरी बात कि अगर संसद से मात्र 12 किलोमीटर दूर एक विश्वविद्यालय में भारत के खिलाफ युद्ध छिड़ा हुआ है तो प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों किया जा रहा है? कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?

ये तो शर्म की बात है कि कुछ छात्रों ने देश के खिलाफ युद्ध छेड़ा हुआ है और मोदी सरकार कुछ नहीं कर पा रही है। अभी तक सुरक्षा बलों को कैंपस क्यों नहीं भेजा गया? वैसे बता दें कि निर्मला सीतारमण खुद JNU से पढ़ी हैं और JNU के लिए तारीफों के कसीदे पढ़ चुकी हैं।

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