कठुआ का सच

हर बार की तरह आईटी सेल इस बार भी अफवाहों को फैलाने में लगा है। जानिए सच और बलात्कारियों के समर्थकों के मुंह पर दे मारिये।

झूठ- पहले पोस्टमार्टम में बलात्कार का ज़िक़्र नहीं था।

सच- केवल एक ही पोस्टमार्टम हुआ था 18 जनवरी को कठुआ के सरकारी अस्पताल में और उसमें बलात्कार का स्पष्ट ज़िक़्र है।

झूठ- साँझीराम का बेटा विशाल घटना के समय मुजफ्फरनगर में था।

सच- जाँच में पाया गया कि मुजफ्फरनगर के उस कॉलेज में विशाल की जगह कोई और परीक्षा दे रहा था। असल मे यह कॉलेज इसी गोरखधंधे के लिए विख्यात है। सोचिये ज़रा जम्मू का लड़का सब छोड़कर मुजफ्फरनगर में एडमिशन क्यों लेगा?

झूठ- मंदिर गाँव की सड़क पर है। वहाँ लोग आते जाते रहते हैं। लड़की को छिपाना संभव नहीं।

सच- द क्विंट की टीम मंदिर होकर आई है। उनके अनुसार मंदिर गाँव से दूर एक सुनसान पहाड़ी पर है न कि सड़क पर। क्राइम ब्रांच की डीएसपी श्वेताम्बरी शर्मा ने मंदिर के अंदर से लड़की के बाल के जो सैम्पल लिए वह उसके डीएनए से मैच करते हैं। इस मंदिर की एक ही चाभी है जो साँझीराम के पास रहती थी।

झूठ- लड़की के शरीर पर कीचड़ पाया गया जो किसी और इलाके का था यानी वह कहीं और मारी गई फिर यहाँ फेंक दी गई।

सच- पोस्टमार्टम में ऐसे किसी कीचड़ का ज़िक़्र है ही नहीं। इसके अलावा चार्जशीट स्पष्ट बताती है कि पुलिसवालों ने लड़की के कपड़े धो दिए थे जिससे सबूत हटाये जा सकें। आख़िरी बात ये कि लाश मंदिर में नहीं रसना गाँव के जंगल में मिली थी जहाँ उसे मार के फेंका गया था।

तो केस को बहकाने के लिए तुम जितने झूठ बोलोगे उतने नंगे होगे और सबूत इतने कच्चे हैं तो कोर्ट में जाने से क्यों रोक रहे थे वक़ील इस मामले को? बलात्कारियों के समर्थक बलात्कारी से कम नहीं होते, शर्म बेच खाई हो तो चुल्लू भर पानी मे डूब मरो। आज किसी और की बच्ची थी कल तुम्हारी भी हो सकती है।

(कश्मीरनामा के लेखक अशोक कुमार पाण्डेय की फेसबुक वॉल से साभार)

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