बाॅलीवुड अभिनेता कमाल राशिद खान ने भाजपा पर यूपी विधानसभा चुनाव जीतने के लिए ओवैसी से मदद मांगने का आरोप लगाया है।
कमाल ने कहा कि यूपी के चुनाव को हिंदू बनाम मुसलमान करने के लिए ओवैसी और भाजपा के बीच डील फाइनल है और जनता इन चालबाजियों से अनजान है।
अपने चाहने वालों के बीच केआरके के नाम से जाने जाने वाले कमाल ने कहा कि भाजपा ने ओवैसी से यूपी में मदद करने का आग्रह किया है।
अब असद्दुदीन ओवैसी कम से कम यूपी की 100 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे। हर सीट पर ओवैसी प्रचार करने जाएंगे और एक धर्म विशेष के लोगों को खूब गाली देंगे। मीडिया भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
सब कुछ छोड़कर मीडिया सिर्फ ओवैसी की खबरें और ओवैसी के भाषणों को चलाएगी। बेचारी भोली भाली जनता, इन ट्रिक्स से अनजान है।
बाॅलीवुड अभिनेता ने कहा कि भाजपा के पास वोटों के ध्रुवीकरण के अलावा कोई रास्ता नहीं है।
सर्वे भी बताते हैं कि देश के 45 प्रतिशत लोग पीएम मोदी से खुश हैं और 55 प्रतिशत लोग नाराज हैं। ऐसे में भाजपा क्या करेगी.. पोलराइजेशन को ही हवा देगी।
बताते चलें कि अभी कुछ ही दिनों पूर्व हुए बिहार विधानसभा चुनाव के बाद भी तमाम नेताओं ने आरोप लगाया कि ओवैसी की पार्टी ने सभी मुस्लिम बहुल सीटों पर महागठबंधन को वोट काट कर नुकसान पहुंचाया और भाजपा, जदयू की सरकार एक बार फिर से बन गई।
बिहार में वर्तमान नीतीश कुमार की सरकार से लोगों को काफी नाराजगी थी। राज्य के हर हिस्से में भाजपा और जदयू की हार हो गई लेकिन मुस्लिम बहुल सीटों पर ही भाजपा और जदयू की जीत हो गई।
वजह थी ओवैसी के उम्मीदवारों द्वारा वोट काट लिए गए और महागठबंधन के उम्मीदवार हार गए।
आरोप है कि ओवैसी के लड़ने से चुनाव का माहौल हिंदू बनाम मुसलमान हो जाता है। जैसे ही ओवैसी प्रचार के लिए मैदान में आते हैं, भाजपा द्वारा उनके भड़काऊ भाषणों को खूब हवा दी जाती है।
इससे वोटों का ध्रुवीकरण होता है और भाजपा की राह आसान हो जाती है लेकिन भाजपा का ये ओवैसी दांव हर जगह कामयाब नहीं होता।
पश्चिम बंगाल के नतीजे सामने हैं। ओवैसी ने बंगाल में भी कई सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन बंगाल के मुसलमानों ने ओवैसी को सिरे से खारिज करते हुए एकमुश्त वोट टीएमसी को दिया और भाजपा को जबर्दस्त चोट पहुंचा दी।
यूपी का मुसलमान भी ओवैसी की इंट्री को लेकर काफी सशंकित दिखाई दे रहा है लेकिन अंततः होगा वही जो बंगाल में हुआ।
क्योंकि दुविधा की स्थिति का फायदा आखिरकार मुख्य लड़ाई में रहने वाले दलों को हो ही जाता है।