उत्तर पूर्व दिल्ली से बीजेपी के नवनिर्वाचित सांसद हंसराज हंस ने जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी (JNU) का नाम बदलने का सुझाव दिया है। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि ‘हमारे बुजुर्गों ने गलतियां की हैं और हम भुगत रहे हैं। मैं तो कहता हूं कि इसका नाम जेएनयू की जगह एमएनयू कर दो। मोदी जी के नाम पर भी कुछ होना चाहिए।
यह वही JNU है जिसने ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ को पनाह दी और यदि इस यूनिवर्सिटी का नाम बदल दिया जाता है तो इस संस्थान में ऐसे गैंग की विचारधारा में भी बदलाव आ जाएगा।
दरअसल बीजेपी सांसद हंसराज हंस अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे। जहां पार्टी के नेता और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी भी मौजूद थे और तिवारी ने बीजेपी सांसद की बात समर्थन भी किया।
हंस राज हंस यही नहीं रुके उन्होंने 1984 में हुए सिख विरोधी दंगे के लिए देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु को ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि दंगे के लिए ‘नेहरू का खून’ ही जिम्मेदार था। हंस के इस बयान पर JNU में छात्रों, यूनिवर्सिटी स्टाफ व अन्य लोग हैरान रह गए।
#WATCH Delhi: BJP's Hans Raj Hans speaks in JNU on Article 370 abrogation. Says "Dua karo sab aman se rahein, bomb na chale…Hamare buzurgon ne galatiyan ki hain hum bhugat rahe hain…Main kehta hoon iska naam MNU kar do, Modi ji ke naam pe bhi to kuch hona chahiye…" (17.08) pic.twitter.com/gejRVIXhZa
— ANI (@ANI) August 18, 2019
वहीं बीजेपी सांसद हंसराज हंस के इस बयान पंखुड़ी पाठक ने ट्वीट करते हुए लिखा- चलो कम से कम यह अपनी क्षमता को तो जानते हैं – नाम ही बदल सकते हैं, बराबरी का विश्वविद्यालय नहीं बना सकते।
भाजपा सांसद कह रहे हैं JNU का नाम बदल कर MNU कर दिया जाए ।
चलो कम से कम यह अपनी क्षमता को तो जानते हैं –
नाम ही बदल सकते हैं , बराबरी का विश्वविद्यालय नहीं बना सकते ।— Pankhuri Pathak پنکھڑی (@pankhuripathak) August 18, 2019
ये पहला मौका नहीं है जब बीजेपी सांसद ने ऐसा अटपटा बयान दिया हो इससे पहले भी वो एक टीवी डिबेट में अपने ज्ञान की पोल खुलवा चुके है। बता दें कि एक टीवी डिबेट में हंस ने पीएम मोदी की तुलना बब्बर शेर से करते हुए यह बताने का प्रयास किया था कि पिछली सरकारों के शासन में आतंकवादी आते थे, हमले करके निकल जाते थे, मगर अब ऐसा नहीं होता।
जिसपर एंकर ने पलटवार करते हुए कहा था कि पहले तो पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए थे 1971 में और आप कह रहे हैं कि पहले ऐसा नहीं हुआ?’ हसंराज ने पहली बार ऐसा कुछ सुना था, इसलिए उन्होंने बड़े आश्चर्य के साथ कहा ‘अच्छा जी, कौन से टुकड़े हुए?