अज़ान के मायने क्या हैं जानते भी हैं मोदी:

अज़ान प्रार्थना नहीं है बल्कि प्रार्थना के लिए निमंत्रण है। इसका अर्थ होता है पुकारना या घोषणा करना. अज़ान में शामिल दो प्रमुख वाक्य हैं

हय्या लसला – आओ नमाज़ की तरफ़
हय्या ललफलाह – आओ सफलता की तरफ़

कई बार मेरे घर पर कुछ मुस्लिम दोस्त बैठे होते हैं और अज़ान की आवाज़ सुनाई देती है। हम चाय पी रहे होते हैं या बात कर रह होते हैं तो रुक नहीं जाते हैं। अज़ान के एक दो मिनट के बाद जिसे नमाज़ पढ़नी होती है वो दूसरे कमरे में चला जाता है।

नेताओं के बीच फैशन बन गया है अज़ान की आवाज़ लाउड स्पीकर पर सुनते ही भाषण रोक देने का। कल तो हद ही हो गई। मोदी जी भी अज़ान सुन कर खामोश हो गए – भाषण ही रोक दिया। गजब का टोकनिज़्म है।

आप अज़ान का एहतराम करे – अच्छी बात है. मस्जिद के मौलवी की अज़ान जिसे सुननी होगी वो सुन ही लेगा। आप तो ज़किया जाफरी की पुकार सुनें, अखलाक के बच्चों की न्याय के लिए गुहार सुने जिसे आप ही के लोगो ने पीट पीट मार डाला। पहलू खान की पत्नी और भाई भी आपसे कुछ कह रहे हैं उन्हे भी सुने। उन सैकड़ों बेगुनाह इन्सानों की चीखे सुने जो गुजरात के नरसंहार में मारे गए।

अज़ान कानो में पड़े और आप खामोश हो जाये और जब बोलें तो श्मशान-कब्रिस्तान करे ये तो मक्कारी के सिवा कुछ नहीं है।

पत्रकार प्रशांत टंडन की फेसबुक वॉल से साभार

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