जम्मू-कश्मीर को तोड़कर राष्ट्रीय एकता नहीं हो सकती। चुने हुए प्रतिनिधियों को कैद करके और हमारे संविधान का उल्लंघन कर के राष्ट्रीय एकता को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। इस देश को यहां के लोगों ने बनाया है न कि जमीन के टुकड़ों द्वारा यह बना है। कार्यकारी शक्ति के दुरुपयोग से राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
National integration isn’t furthered by unilaterally tearing apart J&K, imprisoning elected representatives and violating our Constitution. This nation is made by its people, not plots of land.
This abuse of executive power has grave implications for our national security.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 6, 2019
ये बयान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का जिन्होंने लम्बी ख़ामोशी के बाद जम्मू-कश्मीर विभाजन पर ये बयान दिया है। आज लोकसभा में बोलते हुए कांग्रेस के एक अन्य सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना संवैधानिक त्रासदी है। तिवारी ने कहा कि प्रजातांत्रिक उसूलों का हनन करके मोदी सरकार ये बिल लेकर आई है।
गौरतलब है कि इससे पहले कांग्रेस के सीनियर नेता जनार्दन द्विवेदी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित क्षेत्रों में बांटने के केंद्र सरकार के कदम का समर्थन किया और अपनी पार्टी के रुख के विपरीत राय रखते हुए कहा कि सरकार ने एक ‘ऐतिहासिक गलती’ सुधारी है।
बता दें कि अभी सरकार के इस फैसले पर महबूबा मुफ़्ती और उमर अब्दुल्ला ने कड़ा एतराज जताया था और इसे कश्मीरियत पर हमला बताया था।
सवाल है कि अगर 370 के खत्म होने पर पूरा देश जश्न मना रहा है तो फिर कश्मीर में ये जश्न क्यों नहीं दिख रहा है ?कश्मीर के नेताओं से संवाद क्यों नहीं हो रहा है ? यहां तक कि कश्मीरियों को इंटरनेट और फ़ोन इस्तेमाल की बेसिक सुविधाएं भी क्यों नहीं दी जा रही है?
जिनके वर्तमान और भविष्य का फैसला लिया जा रहा है उन्हीं की जिंदगी को कैदखाने में डालकर किस तरह के फैसले की वाहवाही की जा रही है? सरकार अगर कश्मीर को अपने देश का हिस्सा मान रही है तो कश्मीरियों को प्रताड़ित करके देश को कैसे मजबूत कर रही है ?