राफेल डील पर सबसे बड़ा खुलासा करते हुए फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने घोटाले के आरोप को और पुख्ता कर दिया है। फ्रांस्वा ओलांद के बयान से मोदी सरकार के लिए पार पाना आसान नहीं होगा। मोदी सरकार अब चौतरफा घिर चुकी है। रिलायंस को फायदा पहुंचाने के लिए देश के साथ की गई गद्दारी अब छुपाए नहीं छुप रही है।

राफेल पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति का बड़ा खुलासा- मोदी ने HAL का नहीं सिर्फ रिलायंस का नाम दिया था

मोदी सरकार शुरू से लेकर अभी तक राफेल पर झूठ बोलती आ रही है। झूठ बोलने में वित्तमंत्री अरुण जेटली से लेकर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण शामिल हैं। लेकिन मोदी सरकार जितने भी झूठ बोल लें सबका पर्दाफाश होता जा रहा है। इस बार खुद फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद अपनी चुप्पी तोड़ी है जो इस डील में शामिल रहे हैं। मोदी सरकार कटघरे में खड़ी है।

राफेल घोटाले पर जैसे ही ओलांद का बयान आया है वैसे ही ट्विटर पर नेताओं से लेकर पत्रकारों की प्रतिक्रिया आने लगी है। इस कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट करके लिखा है कि, “सर्जिकल स्ट्राइक की सालगिरह पर, फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने राफेल स्ट्राइक कर दी है।”

फ्रांस्वा ओलांद ने कहा कि भारत सरकार ने ही सिर्फ रिलायंस के नाम का प्रस्ताव रखा था और किसी दूसरी कंपनी का विकल्प ही नहीं दिया था। ओलांद के बयान के बाद ना सिर्फ रक्षामंत्री को कटघरे में खड़ा कर रहा है बल्कि प्रधानमंत्री मोदी पर भी सवाल उठ रहा है!

साथ ही इस डील में मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहा है कि सरकार ने 70 साल पुरानी सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के नाम का प्रस्ताव क्यों नहीं दिया?

फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के खुलासे से साबित हुआ- राफेल ‘घोटाला’ है और मोदी सरकार ने देश के साथ गद्दारी की है

क्या 14 दिनों पहले बनी किसी प्राइवेट कंपनी (अनिल अम्बानी की कंपनी) को कॉन्ट्रैक्ट दिलाना इतना जरुरी था कि देश की सरकारी कंपनी को दरकिनार कर दिया गया?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देश के सामने आकर राफेल पर जवाब देना ही होगा। अगर उनकी सरकार की इस डील में कोई संदेहास्पद स्थिति नहीं है तो मोदी सरकार बच क्यों रही है? HAL को पहले से मिला हुआ कॉन्ट्रैक्ट क्यों रद्द कर दिया गया? मोदी सरकार का ये सवाल तब तक पीछा नहीं छोड़ेंगे जब तक राफेल डील पर स्थिति साफ़ नहीं होती।

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