मोदी सरकार द्वारा धारा 370 हटाए जाने के बाद प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है। जहां कुछ लोग सरकार के इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग इस फैसले को संविधान और लोकतंत्र के ख़िलाफ बता रहे हैं। इसके अलावा कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनका मानना है कि सरकार ने ये मुद्दा अर्थव्यवस्था पर अपनी नाकामी को छुपाने के लिए उठाया है।
पत्रकार साक्षी जोशी ने ट्विटर के ज़रिए दावा किया कि मोदी सरकार गिरती अर्थव्यवस्था से ध्यान हटाने के लिए कश्मीर के मुद्दे को उठा रही है। उन्होंने लिखा, “गिरती अर्थव्यवस्था से ध्यान हटे, 15 अगस्त की स्पीच में बोलने के लिए बढ़िया बातें मिल जाएं, और जम्मू कश्मीर में चुनाव जीत सकें उसके लिए ऐसी हरकत जहां कश्मीर के आम नागरिक इतने परेशान हो रहे हैं बेहद दुखद है। बल से ही कुछ करना था तो अटल जी भी कर लेते”।
गिरती अर्थव्यवस्था से ध्यान हटे, 15 अगस्त की स्पीच में बोलने के लिए बढ़िया बातें मिल जाएं, और जम्मू कश्मीर में चुनाव जीत सकें उसके लिए ऐसी हरकत जहां कश्मीर के आम नागरिक इतने परेशान हो रहे हैं बेहद दुखद है. बल से ही कुछ करना था तो अटल जी भी कर लेते. #StandwithKashmir
— Sakshi Joshi (@sakshijoshii) August 5, 2019
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर में उथल-पुथल देखने को मिल रही है। सूबे में अचानक भारी संख्या में सेना बलों की तैनातगी और अमरनाथ यात्रा को रोके जाने के बाद ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि सरकार धारा 370 को ख़त्म कर सकती है। आख़िरकार सोमवार को इन अटकलों पर पूर्णविराम तब लगा जब सरकार ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर को लेकर संकल्प पत्र पेश किया।
गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर को लेकर सरकार का संकल्प पत्र पेश करते हुए कहा कि कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटा दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश होगा जहां विधानसभा के चुनाव होंगे। दूसरा लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश होगा जहां एलजी के हाथ में कमान होगी।
मोदी सरकार के इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर ने 17 नवंबर 1956 को जो अपना संविधान पारित किया था, वह पूरी तरह से खत्म हो गया है, यानी अब राज्य में भारतीय संविधान पूरी तरह से लागू होगा। जम्मू-कश्मीर को अब विशेषाधिकार नहीं मिलेंगे।
370 के तहत पहले जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति के पास राज्य सरकार को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं था। यानी वहां राष्ट्रपति शासन नहीं, बल्कि राज्यपाल शासन लगता था। अब वहां राष्ट्रपति शासन लग सकेगा। 370 हटने के बाद अब बाहरी लोगों के जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीदने पर भी प्रतिबंध नहीं होगा।