अपनी सरकार के दो साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि, “मेरी सरकार में पिछले दो सालों में 28 लाख रोजगार दिए हैं।” लेकिन 6 महीने बाद अपनी सरकार के ढाई साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री योगी का फिर एक बार रोजगार को लेकर बयान आया। इस बार मुख्यमंत्री ने दावा करते हुए अपने बयान में कहा कि, “उनकी सरकार ने ढाई साल में 14 लाख रोजगार दिए हैं।”
मुख्यमंत्री के दोनों बयान ही एक दूसरे का विरोध करते हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ के किस बयान बयान का सच माना जाए या किस बयान को झूठ ये चिंता का विषय है। योगी राज में कितने रोजगार सृजन हुए इस बात की सही पुष्टि मुख्यमंत्री योगी और उनकी सरकार के लोग ही कर सकते हैं। जनता और विपक्ष तो मात्र अंदाजा ही लगा सकता है।
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यूपी की मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रोजगार देने के दोनों बयान को लेकर जोरदार हमला किया है। समाजवादी पार्टी का साफ़ शब्दों में कहना है कि योगी सरकार ने ढाई साल की सत्ता में युवाओं को रोजगार देने के नाम पर उन्हें लाठियां दी है। प्रदेश के युवाओं को कोसने वाली सरकार के मुखिया पहले तय कर लें कि उन्हें किस झूठ पर कायम रहना है।
ढाई साल की सत्ता में युवाओं को रोज़गार देने के नाम पर उन्हें लाठियाँ और कोसने वाली सरकार के मुखिया पहले तय कर लें उन्हें किस झूठ पर क़ायम रहना है।क्यों आधी सरकार ख़त्म होते होते 28 लाख रोज़गार का तथाकथित आँकड़ा अब 14 लाख पर आकर आधा हो चुका है। pic.twitter.com/MP8QJ9Fghh
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) August 30, 2019
सपा ने अपने ट्वीटर से ट्वीट करके अख़बार की कटिंग शेयर की है। सपा की तरफ से ट्वीट में कहा गया है कि, “क्यों आधी सरकार ख़त्म होते ही 28 लाख रोजगार का तथाकथित आंकड़ा अब 14 लाख पर आकर आधा हो चुका है?”
इस समय पूरे देश में केंद्र से लेकर ज्यादातर राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकारें हैं, बावजूद इसके मोदी सरकार से लेकर योगी सरकार के लिए मंदी और युवाओं को रोजगार देना चुनौती बना हुआ है। वहीं जो रोजगार प्राइवेट सेक्टर में मौजूद हैं वो भी लोगों की पहुंच से बाहर हो रहे हैं। जबकि सरकारी नौकरियां बहुत ही सिमित हैं।
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गौरतलब है कि, दिल्ली में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने गिरती अर्थव्यवस्था पर अपनी बात रखते हुए कहा कि, “पिछले 70 सालों में किसी ने ऐसी परिस्थिति नहीं देखी जहाँ सारा वित्तीय क्षेत्र उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है और निजी क्षेत्र में कोई भी दूसरे पर भरोसा नहीं कर रहा है। कोई भी किसी को कर्ज़ देने को तैयार नहीं है, सब नकद दाबकर बैठे हैं।
नोटबंदी,जीएसटी जैसे कानून पर बोलते हुए राजीव कुमार ने कहा कि नोटबंदी, जीएसटी और आईबीसी (दीवालिया क़ानून) के बाद हर चीज़ बदल गई है। पहले 35 फ़ीसदी नक़दी उपलब्ध होती थी, वो अब काफ़ी कम हो गया है। इन सभी कारणों से स्थिति काफ़ी जटिल हो गई है। मगर मीडिया के जरिए केंद्र सरकार में सबकुछ अच्छा हो रहा है ऐसा दिखाया जा रहा है!