बैंकों में घोटाले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। देश के कोने-कोने से बैंक घोटालों की खबर आ रही है। ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे पिछले कुछ सालों से बैंकों की निगरानी पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है। अब आई.डी.बी.आई बैंक में 445.32 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है।

सीबीआई ने आई.डी.बी.आई. बैंक के पूर्व महाप्रबंधक बट्टू रामा राव तथा 30 अन्य लोगों के खिलाफ कथित रूप से बैंक से 445.32 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि इस मामले में फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर किसान क्रैडिट कार्ड और मत्स्य खेती ऋण हासिल किए गए। ये योजना केन्द्रीय सरकार के अंतर्गत आती है।

सीबीआई का कहना है कि 2009-10, 2010-11 और 2011-12 दौरान 21 एग्रीगेटर समूहों के 220 लोगों ने 192.98 करोड़ रुपये का कर्ज़ लिया। इन लोगों ने बैंक के पूर्व महाप्रबंधक बट्टू रामा राव के साथ आपराधिक साजिश कर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर यह कर्ज़ लिया। यहीं नहीं उन्होंने कर्ज़ के लिए जमानत का मूल्य भी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया है। इसके बाद यह लोन गैर निष्पादित औस्तियां (एन.पी.ए.) बन गया। 30 सितम्बर, 2017 तक कर्जदारों का कुल बकाया बढ़कर 445.32 करोड़ रुपये हो गया।

कर्ज़ लेने वाले लोगों ने राव, मुख्य महाप्रबंधक आर. दामोदरन, बैंक के पैनल मूल्यांकनों के साथ सांठ-गांठ में यह कर्ज़ हासिल किया। राव उस समय आई.डी.बी.आई. की बशीराबाग शाखा में कार्यरत थे।

सीबीआई. का आरोप है कि मंजूर कर्ज़ का इस्तेमाल उन उद्देश्यों के लिए नहीं किया गया जिनके लिए यह लिया गया था। एफआईआर में आरोप लगाया गया कि राशि बैंक द्वारा कर्ज़दारों के खातों में डाली गई जिसे बाद में व्यक्तिगत बैंक खातों में ट्रान्सफर कर दिया गया।

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