उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव बड़े ही दिलचस्प रहे आखिरी वक़्त तक सियासी ड्रामेबाजी चलती रही। मगर जो सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात रहेगी वो रहेगी बीजेपी की चालाकी और सीट को लेकर लोभ।

जिस तरह से प्रदेश में 10 सीटों में से बीजेपी 8 सीटों पर उनके उम्मीदवार चुने जाना तय था मगर आखिर में एक सीट पर बीजेपी ने अपने उम्मीदवार को उतारकर अपनी ही पोल खुलवा दी।

राज्यसभा चुनाव के 9वी सीट जिसपर बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार भीमराव आंबेडकर थे उसी सीट पर बीजेपी ने अपने उम्मीदवार को उतार कर समीकरण ही बदल दिया। उसपर से बीएसपी के दो विधायकों को जेल रहने के चलते वोटिंग से रोक दिया गया।

जिसपर पूरा विपक्ष अब बीजेपी पर निशाना साध रहा है। बसपा नेता सतीश मिश्रा ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि क्योकिं बीजेपी सत्ता में है तो वो सभी तरीकों से चुनाव में अपना प्रभाव डालेगी। जैसा की दिखा गया हमारे दो लोगों वोट करने रोका गया। जबकि कोर्ट और चुनाव आयोग ने पहले ही वोट डालने की इजाजत दे दी थी।

बीजेपी ने चर्चित बिजनसमैन और गाजियाबाद-मेरठ में प्रोफेशनल इंस्टिट्यूट चेन के मालिक अनिल अग्रवाल को आखिरी वक़्त में चुनाव में उतरकर जिस तरह से 9वी सीट के लिए बीजेपी ने बसपा उम्मीदवार के मुश्किल खड़ी की उसे लेकर कांग्रेस प्रवक्ता ने तो सीधे सीधे सीएम योगी और पीएम मोदी पर ही निशाना साधा है।

रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सोशल मीडिया पर लिखा वोटों की हार का बदला नोटों की जीत से लेना चाहते हैं ‘मोदी-योगी’!  जनप्रतिनिधियों के लगाए दाम, प्रजातंत्र को किया नीलाम। वाह ‘मोदी-योगी’ जी बढ़िया है।

वाह ‘मोदी-योगी’ जी बढ़िया है।https://t.co/ttD1AxW0AH

— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) March 24, 2018


सोशल मीडिया पर लोग यहां लिखते नज़र आ रहे कि लोकतंत्र की किताब में यूपी का राज्यसभा चुनाव एक काले धब्बे के रूप में लिखा जाएगा, इतना बड़ा बहुमत होने के बावजूद भाजपा जिस तरह से खुल्लम खुल्ला 1-1 सीट के लिए बेशर्मी से खरीद फरोख्त कर रही है वो लोकतंत्र को शर्मसार कर देने वाला है।


सबका साथ सबका विकास की राजनीति करने वाली बीजेपी के पास पहले से ही 8 उम्मीदवारों के लिए पर्याप्त वोटों के बाद भी 28 वोट बच रहे थे, ऐसे में विपक्ष को चुनौती देने के लिए भाजपा ने अनिल अग्रवाल के रूप में नया दांव खेल दिया।

सपा, बसपा, राष्ट्रीय लोक दल और कांग्रेस के समर्थन से राज्यसभा जाने की सोच रहे बसपा उम्मीदवार भीमराव आंबेडकर के लिए यह राह कठिन कर दी और उन्हें अंत में हार का सामना करना पड़ा और बीजेपी ने एक ऐसी जीत हासिल की जिसे देख यही कहा जा सकता है की बीजेपी दलितों के साथ कभी थी ही नहीं।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here