विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने जनसंख्या नियंत्रण कानून की वकालत कर दी है और देश भर में एक नई बहस छेड़ दी है।

लेकिन दिलचस्प बात तो यह है कि अगर यह जनसंख्या नीति वर्तमान विधायकों पर भी लागू हो गई तो उत्तर प्रदेश विधानसभा के 50% भाजपा विधायक अयोग्य घोषित हो जाएंगे, इसकी वजह क्या है, जान लेते हैं।

भारतीय जनता पार्टी के सांसद, विधायक से लेकर स्थानीय नेता तक सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक जनसंख्या नियंत्रण कानून के पक्ष में खूब बैटिंग कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर भाजपा नेताओं के बयानों को देखें तो पाएंगे कि जनसंख्या नियंत्रण कानून ही देश की सभी समस्याओं का एकमात्र हल है।

वैसे यूपी विधानसभा की वेबसाइट को खंगालने पर पता चला कि 50% भाजपा विधायक बच्चे पैदा करने में एक्सपर्ट है।आधे से ज़्यादा भाजपा विधायकों के दो से ज़्यादा बच्चे हैं।

ऐसे में अगर जनसंख्या नीति सचमुच लागू हो जाए तो इसकी जद में सबसे पहले भाजपा के विधायक ही आएंगे।

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण के उद्देश्य से एक मसौदा तैयार कराया है, जिसके तहत दो या अधिक बच्चे पैदा करने वाले माता-पिता को लोकल बॉडी के चुनाव लड़ने, सरकारी नौकरियों में प्रमोशन एवं सरकारी योजनाओं में लाभ लेने से वंचित कर दिए जाने का प्रावधान है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा पर कुल 397 विधायकों की प्रोफाइल अपलोड किया गया है। इन प्रोफाइल्स का विश्लेषण करने पर पता चला कि आधे से ज़्यादा यानी 152 विधायकों के दो से ज़्यादा बच्चे हैं।

एक भाजपा विधायक की स्थिति यह है कि उनके 08 बच्चे हैं. इतना ही नहीं भाजपा के 08 विधायक ऐसे हैं, जिनके 06-06 बच्चे हैं, मतलब आधा दर्जन बच्चों की फौज खड़ी है लेकिन जनसंख्या नियंत्रण कानून के पक्ष में जमकर बयान दे रहे हैं।

वहीं 15 विधायक ऐसे हैं जिनके 05 बच्चे हैं, 44 विधायकों के 04 बच्चे हैं, 83 को 03 बच्चे हैं जबकि 103 विधायकों को 02-02 बच्चे हैं।

वहीं 15 विधायकों में किसी को 01 भी बच्चा नहीं है, अथवा संभव है कि उन्होंने अपने बच्चों की जानकारी साझा नहीं की हो।

बात निकलती है तो दूर तलक जाती है। जनसंख्या नियंत्रण बिल पर प्राइवेट मेम्बर बिल लाने वाले गोरखपुर के भाजपा सांसद रवि किशन खुद 04 बच्चों के पिता हैं।

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