धर्म पर बहस एक ख़ास पार्टी को फायदा पहुंचाएगी। किसान,नौजवान और गरीब मजदूरों की समस्याएं उसी ख़ास पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है।
जिस कारण देश की मीडिया और उसके पत्रकार एक ख़ास बहस को बनाए रखना चाहते हैं।
आजतक एंकर रोहित सरदाना ने एक ट्वीट में लिखा कि,जिस देश में तिरंगा यात्रा में दो चार भगवा झंडे आ जाने पे पूरा ‘नैरेटिव’ बदल दिया जाता हो वहाँ किसान आंदोलन में वाम पार्टियों के लाल झंडे लहराएँगे तो सवाल तो उठेंगे ही मित्र!
उसका जवाब सोशल मीडिया ने उसी भाषा में दिया।
भगवा और लाल रंग के झंडे फहराने में जमीन आसमान का फर्क है। भगवा झंडा फहराने से दंगें होते हैं कासगंज। और लाल झंडे किसानों के लिए, उनके आत्म सम्मान की लड़ाई के झंडें हैं।
एक अन्य यूजर लिखते हैं ‘भाई तू कभी एसी रुम से बाहर निकलकर पत्रकारिता कर ले। लाल झंडे की असलियत समझना है तो मुंबई जाओ और उन किसानों से पूछो कि वो वामपंथियों के झंडे क्यों लेकर आएं हैं। कभी लोगों को ये बताया है कि सबसे अधिक किसान इस साल आत्महत्या क्यो की’
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