मै आपको बताता हूं कि मैं क्यों बाकी पत्रकारों की तरह सरकारी भोंपू नहीं बन सकता ..क्यों सत्ता का भोंपू नहीं बन सकता . क्यों विश्वसनीयता की लड़ाई लड़ रहा हूं और मेरे साथ कुछ अन्या पत्रकार भी .

क्योकि मै चाहता हूं कि हमारी रोज़ी रोटी बनी रहे . पत्रकारिता एक ऐसा पेशा बना रहें जिसमे बिज़नेस हाऊसेस पैसा लगाते रहें . क्योकि अगर आपकी विश्वसनीयता खत्म हो गई तो कोई आपमे निवेष नहीं करेगा …चैनल्स की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो जाएगी ..क्योकि हमे कोई गमभीरता से नहीं लेगा . नौकरियों पर , वेतन पर असर पड़ने लगेगा . जब लोग आपमे निवेष नहीं करेंगे तो पैसे कहां से आएंगे ?

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