संस्कार और नारी सम्मान को शायद ही किसी पार्टी ने इतना बड़ा मुद्दा बनाया था. मगर आचरण और कथनी का फ़र्क़ बहुत हैरतअंगेज है. जम्मू की आठ साल की आसिफा का निरंतर कई दिनों तक बलात्कार. बेहोशी की दवा देकर कई दिनों तक रेप. एक मंदिर जैसी पूजनीय जगह पर रेप. रिश्तेदारों को बुला बुला कर उस मासूम को छलनी किया गया.

मेरी गुड्डी, मेरी बिटिया ना जाने किस नर्क गुज़री तू उन आख़िरी लम्हों में . मेरी ईश्वर से प्रार्थना है (अगर वो है) के तू इस वक़्त एक बेहतर माहौल में होगी. सुरक्षित होगी तू, मेरी प्यारी गुड़िया. ये राक्षस ही तो थे जिन्होंने इसे अंजाम दिया. कलयुग के राक्षस. हमारे बीच विचरण करते हुए. और जानते हो? ये हमारे कितना करीब थे?

” आसिफा के पक्ष में आकर खड़ी है इस देश में संस्कारी बर्ताव की विरासत संभालने वाली जम्मू कश्मीर सरकार में भागीदार… बीजेपी”

मैंने ख्वाहिश की कि आसिफा एक खुशनुमा माहौल में होगी, मगर जानते हो? वो आज भी तड़प रही है. क्यों? क्योंकि पहले तो उसे छलनी किया गया और अब उसके जाने के बाद उसकी आत्मा को, उसकी याद को छलनी किया जा रहा है. आसिफा के पक्ष में आकर खड़ी है इस देश में संस्कारी बर्ताव की विरासत संभालने वाली जम्मू कश्मीर सरकार में भागीदार… बीजेपी. इसके दो मंत्री बेशर्मी से उस मार्च में शरीक हुए जिसमे हत्यारों और बलात्कारियों की जय जयकार हुई! क्यों? क्योंकि बलात्कारी हिंदू थे? और पीड़ित एक मासूम 8 साल की मुस्लिम लड़की?

क्या जानते हो तुम, के कितने कम अर्से में इंसान से वहशी हो गए हो तुम? तुम क्यों? मुझे हम बोलना चाहिए. हम. हम देश चला रहे हैं. बहुमत हैं. है ना? हिन्दुत्व और इस नारे के नाम पर तो हम कुछ भी करने को तैयार हैं? अपनी आत्मा, अपनी ईमानदारी अपनी इंसानियत.. सब कुछ! कुछ लोग तर्क ये दे रहे हैं के ये हिंदुओं का जम्मू मे गुस्सा था जो सामने उभरा है. सालों का अत्याचार, जिसकी प्रतिक्रिया है! बहुत बढ़िया. एक लम्हे, सिर्फ एक लम्हे के लिए, अपनी हवस, अपनी कायरता पर गौर करना. देखो तुम क्या बन गए हो!

और ये किस सियासी सोच के संस्कार हैं. सोचो कुछ देर के लिए यही तर्क निर्भया के गैंग रेप में कोई बदतमीज़ देता, सोचो! कोई सियासी पार्टी बलात्कारियों का धर्म या उनकी जाति देखकर साथ खड़ी होती? सोच कर भी सिहरन पैदा होती है ना? ऐसे ही राक्षस बनते जा रहे हैं हम!

देखो उत्तर प्रदेश में क्या हो रहा है. और देखो कैसे अब तक विधायक कुलदीप सेंगर से पुलिस ने पूछताछ तक नहीं की. इस लेख के लिखे जाने तक तो बिल्कुल भी नहीं… भेज दिया बीवी को. योगी जी को भी नहीं लगा के विधायक से जवाब तलब होना चाहिए… नहीं! वो मुस्कुरा रहा है. अदालत तक को दखल देना पड़ा. कोई जवाब है इस बात का? इतना घमंड? इतना हठ? कोई जवाबदेही नहीं? राजधर्म कहाँ है भई? जानता हूं के मौजूदा बीजेपी की कमान जिनके हाथों में है, जिनके हाथों में इसका भाग्य है, राजधर्म उनकी कमज़ोरी रही है.   एक पूर्व प्रधानमंत्री ने भी इस बात को महसूस किया था. मगर ये?

मैं चाहूंगा के मोदीजी जब उपवास में हों, भावनाओं के उफनते समुद्र में आसिफा की झलक उन्हे दिखाई दे. 2022 तक उत्तर प्रदेश में  रामराज्य लाने का वादा और उसकी बिखरती नीव की चिंता भी जगह पाए. मैं उम्मीद करता हूं…

मुश्किल है. मगर आसिफा के बारे में ज़रूर सोचें और जानें के हम इंसानियत को कितना पीछे छोड़ गए हैं।

मैं नहीं भुला पा रहा आसिफा को. मैं उसके हँसते हुए मासूम चेहरे को ही याद रखना चाहूंगा, क्योंकि मौत के बाद उसका चेहरा मुझे अपने वहशीपन की याद दिला रहा है. मैं राक्षस नहीं हूं और कोई भी मौकापरस्त सियासी सोच मुझे राक्षस नहीं बना सकती।

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