यूपी में एबीपी न्यूज के पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई है। उन्होंने कुछ दिन पहले ही पुलिस को पत्र लिखकर अपनी जान पर खतरा बताया था और खुद के लिए सुरक्षा की मांग की थी।
अफसोस, पुलिस न तो उन्हें सुरक्षा दे सकी और न उनके चैनल ने उनकी आवाज को अपने स्टूडियो में उठाना ठीक समझा।
परिणाम, सुलभ की मौत हो गई, जिसका अंदेशा उन्हें पहले से हो गया था। मामला प्रतापगढ़ के शहर कोतवाली क्षेत्र का है।
12 जून को ही उन्होंने एडीजी और एसपी को पत्र लिखकर बताया था कि चूंकि उन्होंने शराब माफियाओं के खिलाफ खबर चलाई थी, इस के बाद से ही माफिया उनकी जान के पीछे पड़े हुए थे।
सुलभ ने पुलिस को बताया था कि पिछले कुछ दिनों से संदिग्ध किस्म के लोग उनका पीछा कर रहे हैं। सुलभ ने बताया था कि उनका परिवार भी डर सहमा सा रह रहा है।
सुलभ के साथी पत्रकारों ने बताया कि एक स्टोरी कवरेज के सिलसिले में वो लोग निकले हुए थे। सुलभ पीछे से आ रहे थे। इसी बीच उन लोगों के मोबाइल पर खबर आई कि सुलभ का एक्सीडेंट हो गया है।
सुलभ एक ईंट भट्ठे के बाहर अचेत अवस्था में पड़े हुए थे।साथी पत्रकार सुलभ को अस्पताल लेकर गए लेकिन वहां पर डाॅक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पत्रकार सुलभ की मौत बहुत सारे सवाल खड़े करते हैं। जिस प्रकार से यूपी को लगातार माफिया मुक्त करने का दावा सरकार की ओर से किया जाता है, वह इस हत्याकांड के बाद खोखला साबित हुआ है।
यह साबित हो गया है कि यूपी आज भी माफियाओं के चंगुल में है और सरकार के दावे झूठे हैं। यूपी में हर चीज महंगी है सिर्फ लोगों की जान सस्ती है।
वहीं सुलभ की हत्या के साथ ही मीडिया संस्थानों का भी बेहद संवेदनहीन रवैया सामने आ गया है। दिन भर चीख चीख कर सरकार की तरफदारी और हिंदू मुसलमान करने वाले ये न्यूज चैनल अपने पत्रकारों को किस नजर से देखते हैं, ये सामने है।
जमीन पर काम करने वाले अपने साथी पत्रकार की हत्या के लिए ये न्यूज चैनल अपने स्टूडियो से एक सवाल नहीं खड़ा कर सकते हैं।
एबीपी न्यूज के रिपोर्टर ने न्यूज कवरेज के लिए ही अपने जानमाल के नुकसान का अंदेशा जताया लेकिन न तो उसे यूपी सरकार सुरक्षा दे सकी और न एबीपी न्यूज उसे सुरक्षा दिलवा सका !