आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार पूरी तरह नाकाम हो चुकी है। देश की विकास दर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में विकास दर 5.8 फीसदी से घटकर 5 फीसदी हो गई है। अगर सालाना आधार पर तुलना करें तो करीब 3 फीसदी की गिरावट है। एक साल पहले इसी तिमाही में GDP की दर 8 फीसदी थी।

विकास दर में लगातार दर्ज की रही इस गिरावट ने अब गोदी पत्रकारों के सब्र का बांध भी तोड़ दिया है। हर मुद्दे पर सरकार का बचाव करने वाले गोदी पत्रकार भी GDP पर अपनी चिंता जता रहे हैं। आजतक के एंकर रोहित सरदाना ने ट्वीट कर लिखा, “पिछले पाँच साल में देश की GDP सबसे निचले पायदान पर। कृषि विकास दर भी घट कर 2% हुई। 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य के लिए बड़ा झटका। आने वाले दिनों में कठिनाइयों के संकेत साफ़ नज़र आने लगे हैं”। 

सरदाना ने सोशल मीडिया के ज़रिए गिरती GDP को लेकर अपनी चिंता तो जता दी, लेकिन जैसे ही उन्होंने सत्ता के बचाव वाले अपने चिर-परिचित अंदाज़ से हटकर ये ट्वीट किया वह लोगों के निशाने पर आ गए। लोगों ने सोशल मीडिया पर उनका मज़ाक बनाना शुरु कर दिया।

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अध्यात्मिक गुरु आचार्य प्रमोद कृष्णण ने इसपर तंज़ कसते हुए ट्वीट किया, “आर्थिक मंदी का डर अब दरबारी पत्रकारों के चेहरों पर भी साफ़ झलकने लगा है,ये देश की फ़िक्र है या पैकेज कम होने की चिंता, यही सबसे बड़ा सवाल है, मगर हम तो पूछेंगे…………..?” हालांकि आचार्य प्रमोद ने अपने ट्वीट में रोहित सरदाना का नाम नहीं लिया।

इससे पहले राजद नेता संजय यादव ने सरदाना के ट्वीट पर टिप्पणी करते हुए लिखा, “आतंकवादी देश पाकिस्तान को कड़ा सबक़ सिखाना है। हिंदू-मुसलमान पर ज्ञान बाँट भावनाएँ भड़काने वाली बहसों से ही जीडीपी बढ़ेगी। बाक़ी मंदी, बेरोज़गारी, लहुलूहान किसानी का विमर्श त्याग भारत माता की जय बोलना ही असल देशभक्ति है। जय हिंद, जय भारत”।

बता दें कि देश की मौजूदा GDP बीते 25 तिमाहियों यानी पिछले 6 साल में सबसे निचले स्तर पर है। इससे पहले, 2012-13 की अप्रैल-जून तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 4.9 फीसदी के निचले स्तर पर दर्ज की गई थी।

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