मोदी सरकार-2 में देश भयानक मंदी के दौर से गुजर रहा है। आर्थिक जानकार मानते हैं कि मंदी मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों की वजह से आई है। नोटबंदी और जीएसटी के बाद बड़े पैमाने पर नौकरियों से लोगों को हाथ धोना पड़ा और जीएसटी की वजह से बड़े उद्योगपति घाटे में जा रहे हैं जिसकी वजह से उन्हें अपने कोई प्लांट बंद करने पड़े। इसका खामियाजा लोगों को नौकरियों से करना पड़ रहा है।

मगर भले ही मीडिया में मंदी की खबरें नहीं दिखाई जा रही हों, लेकिन नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने ये माना कि 70 में पहली बार इतनी नकदी की देश में कमी हुई है। आरबीआई के गवर्नर शशिकांत दास ने भी दबी जुबान से मंदी को स्वीकारा है।

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कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद ने ट्वीट करते हुए मीडिया और मोदी सरकार पर जोरदार निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि, “अर्थव्यवस्था चौपट है लेकिन चुप रहो, कश्मीर बर्बाद है लेकिन चुप रहो, यूपी में गुंडाराज है लेकिन चुप रहो। आचार्य प्रमोद ने पूछा, ये आपातकाल नहीं तो और क्या है?”

देश में मंदी है इसको इसी बात से समझा जा सकता है कि, रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने केंद्र सरकार को 1 लाख 76 हज़ार करोड़ से ज्यादा का सरप्लस ट्रांसफर करने की घोषणा की है। आरबीआई ने जालान समिति की सिफारिशों पर सरकार को ये आर्थिक मदद देने का फैसला किया है। यानि मोदी सरकार का खजाना खानी है उसके पास पैसे नहीं है तभी आरबीआई से रुपये लेने की जरुरत आन पड़ी है।

जिस काम से राजन ने इनकार किया, वह शक्तिकांत ने कर दिया, इसीलिए उनको RBI गवर्नर बनाया गया था?

वहीं उत्तर प्रदेश में आए दिन ह त्या बलात्कार की घटनाएं आम हो गई हैं। उन्नाव में बीजेपी विधायक के बाद अब पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता स्वामी चिन्मयानंद के ऊपर एक लड़की ने शारीरिक शोषण करने का गंभीर आरोप लगाया है।

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