भारतीय बैंकों को हज़ारों करोड़ का चूना लगाने वाले विजय माल्या ने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर बड़ा आरोप लगाया है। माल्या ने कहा कि भारत छोड़ने से पहले उसने मामला सुलझाने के लिए वित्त मंत्री से मुलाकात की थी।

वेस्टमिंस्टर में प्रत्यर्पण की सुनवाई के बाद माल्या ने कोर्ट के बाहर कहा, “भारत छोड़ने से पहले मामले के निपटारे के लिए मैं वित्त मंत्री से मिला था। मैंने बैंकों के साथ मामला सुलझाने के लिए दोबारा ऑफर भी दिया था। बैंकों ने निपटारे के प्रस्ताव वाली मेरी चिट्ठियों पर आपत्ति दर्ज की थी।”

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विजय माल्या के इस बयान के बाद बीजेपी को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। विपक्षी दल के नेताओं से लेकर देश की कई बड़ी हस्तियों ने माल्या-जेटली की मुलाकात पर सवाल खड़े किए हैं।

वहीं इस मामले को लेकर मीडिया पर भी तंज़ कसा जा रहा है। आध्यात्मिक गुरु आचार्य प्रमोद कृष्णम ने हिंदू बनाम मुस्लिम की डीबेट करने वाले टीवी चैनलों पर कटाक्ष किया है।

उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “विजय माल्या, मेहुल चौकसी और नीरव मोदी, इनमें एक भी मुसलमान नहीं है, वरना ये घोटाला भी हिंदू मुस्लिम हो जाता”।

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आचार्य प्रमोद ने मीडिया पर यह तंज़ मौजूदा स्थिति को देखते हुए किया है। बात मौजूदा दौर की करें तो मीडिया सिर्फ उन्हीं मुद्दों पर चर्चा करता नज़र आता है जिनमें हिंदू बनाम मुस्लिम का एंगल होता है।

ग़ौरतलब है कि मार्च 2016, में विजय माल्या भारत छोड़कर भागे थे। उस समय वित्त मंत्री अरुण जेटली ही थे। उस वक्त कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी आरोप लगाते हुए कहा था कि माल्या भारत छोड़ने से पहले वरिष्ठ भाजपा नेता से मिले थे।

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सिर्फ विपक्ष ही नहीं बल्कि बीजेपी के अपने नेता सुब्रमण्यम स्वामी का भी यह मानना है कि विजय माल्या के भागने की ख़बर सरकार को थी।

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