फेक न्यूज़ पर पहले सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सोमवार को इस मामले में पत्रकारों की मान्यता का संशोधित गाइडलाइन जारी कर दी है। फेक न्यूज़ से से निपटने के लिए कई नए प्रावधानों को शामिल किये थे।
जिसमें पत्रकारों की मान्यता ख़त्म करने जैसे कड़े प्रावधान भी शामिल थे। मगर पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बाद इसे गाइडलाइन को रद्द कर दिया गया ।
अब सवाल उठ रहा है की क्या मोदी सरकार में सिर्फ प्रधानमंत्री वो शख्स है जो सभी फैसले ले सकते है?
इस मामले में आचार्य प्रमोद ने तंज कसते हुए लिखा कि “फेक” न्यूज़ पर “फेक” सरकार ने, नयी गाइड लाइन जारी की, लेकिन मज़ेदार बात ये है,कि ये ख़बर भी “फेक” निकली।
गौरतलब है कि इससे पहले इस मामले दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भी आलोचना की थी। शीला ने आईबी मंत्रालय के सोमवार के दिशा-निर्देशों पर सवाल उठाते हुए फेक न्यूज की परिभाषा पूछी।
उन्होंने कहा, लोकतांत्रिक व्यवस्था में मीडिया पर प्रतिबंध लगाना लोकतंत्र की हत्या जैसा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, आज हम केवल ऐसी खबरें देखते हैं जो सरकार समर्थित हैं। भारत स्वतंत्र मीडिया में विश्वास रखता है और यह जारी रहना चाहिए।