<p>महाराष्ट्र में किसानों ने हजारों के संख्या में आकर सरकार के होश उड़ा दिए है। नासिक से मुंबई का सफ़र तय कर पहुंचे किसानों ने विधानसभा घेराव का मन बना लिया है।</p>
<p>करीब 200 किलोमीटर से ज्यादा लम्बा सफ़र तय करके आये किसान अपनी मांग मनवाने के लिए सड़कों पर है। मागें भी जिसका वादा खुद राज्य की बीजेपी सरकार ने किया था। मगर सरकार अपने किये वादों से पीछे हट गई।</p>
<p>इस मामले को राजनैतिक नाम दिया जाने लगा है। लोगों सवाल करने लगे है कि आखिर किसान के हाथों में लाल झंडे क्यों है? ये तो वामपंथी वालों की भीड़ है।</p>
<p>मगर कोई ये नहीं पूछ रहा है आखिर किसान सड़कों पर क्यों है ऐसा क्या हुआ की हजारों की संख्या में किसान नगें पैर चिल चिलाती धूप में पिछले 7 दिनों से सड़कों पर है।</p>
<p>इस मामले पर सामाजिक कार्यकर्ता आचार्य प्रमोद ने उन लोगों पर निशाना साधा है जिन्होंने इस आन्दोलन को राजनैतिक रंग देने की कोशिश की है। आचार्य ने लिखा कल तक किसान “अन्नदाता” था, आज अपना हक़ माँगने लगा तो “वामपंथी” हो गया,अरे कुछ तो शर्म करो।</p>
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<p lang=”hi” dir=”ltr”>कल तक किसान “अन्नदाता” था, आज अपना हक़ माँगने लगा तो “वामपंथी” हो गया,अरे कुछ तो शर्म करो…!</p>