केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 में संशोधन करने का कारण जम्मू-कश्मीर में खराब स्वास्थ्य सेवा, गरीबी, डॉक्टरों की कमी और धीमी आर्थिक वृद्धि को बताया। लेकिन जम्मू-कश्मीर की तुलना भारत के दूसरे राज्यों से करने पर पता चलता है कि अमित शाह ने राज्य को लेकर जो दावे किए हैं, वह सही नहीं हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर कई मामलों में बीजेपी शासित राज्यों से भी आगे है। इसपर एक्टर सिद्धार्थ ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्विटर के ज़रिए कहा, “कश्मीर आर्थिक रूप से कई बीजेपी शासित राज्यों से श्रेष्ठ है, जिसमें अजय बिष्ट के नेतृत्व वाला उत्तर प्रदेश भी शामिल है। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि वे कश्मीरियों के साथ कौन सा कौशल साझा करना चाहते हैं। सबका विश्वास। कलयुग”।
#Kashmir is economically superior to several #BJP governed states including the largest one in the country with #AjayBisht in charge. I don't understand what prowess they want to share with Kashmiris. Sabka wishwash. Kalyug.
— Siddharth (@Actor_Siddharth) August 8, 2019
आइये देखते हैं दूसरे राज्यों के मुकाबले जम्मू-कश्मीर की स्थिति क्या है-
लाइफ एक्सपेक्टेंसी यानी जीवन प्रत्याशा के मामले में जम्मू-कश्मीर 22 राज्यों में से तीसरे स्थान पर है। 2012-16 के बीच राज्य में औसत जीवन प्रत्याशा 73.5 थी। वहीं केरल में जीवन प्रत्याशा सबसे अधिक 75.1 थी, जबकि उत्तर प्रदेश में सबसे कम (64.8) थी। वहीं अमित शाह का गृह राज्य गुजरात भी इस मामले में जम्मू-कश्मीर से पीछे रहा। जीवन प्रत्याशा का राष्ट्रीय औसत 68.7 था।
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वहीं 2016 में जम्मू कश्मीर शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) के मामले में 10 वें स्थान पर रखा गया था। यहां प्रति 1000 पर 24 शिशुओं की मृत्यु हुई थी। गोवा में आईएमआर सबसे कम 8 था, जबकि मध्य प्रदेश में 47 आईएमआर सबसे अधिक था। आईएमआर के लिए राष्ट्रीय औसत 31 था।
अमित शाह के डॉक्टरों की कमी वाली चिंता की बात करें तो जम्मू-कश्मीर इस मामले में भी हिंदी पट्टी के ज़्यादातर राज्यों से बेहतर है। 2018 में J & K में एक सरकारी डॉक्टर द्वारा 3,060 व्यक्तियों की सेवा की गई। 2018 में केवल छह ही राज्य ऐसे रहे जहां एक डॉक्टर द्वारा इससे कम लोगों की सेवा की गई है। इस मामले में दिल्ली का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा और बिहार का प्रदर्शन सबसे ख़राब।
ग्रामीण बेरोज़गारी दर की बात करें तो इस मामले में जम्मू और कश्मीर को 2011-12 में ग्रामीण 21 वां स्थान दिया गया था। प्रत्येक 1,000 लोगों में से 25 जम्मू-कश्मीर के ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगार थे। सर्वश्रेष्ठ राज्य गुजरात था (प्रत्येक 1000 लोगों में से 3 बेरोजगार थे) जबकि नागालैंड सबसे खराब (हर 1000 लोगों में से 151 बेरोजगार थे)। राष्ट्रीय औसत 17 था।
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गरीबी दर के मामले में भी जम्मू-कश्मीर कई राज्यों से बेहतर रहा और (10.35)% के साथ आठवें स्थान पर रहा। बता दें कि गोवा में गरीबी दर सबसे कम 5.09% थी, जबकि छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक 39.93% गरीबी दर थी। राष्ट्रीय औसत 21.92% था।
2016-17 में, जम्मू और कश्मीर में प्रति व्यक्ति शुद्ध सकल घरेलू उत्पाद 62,145 था। इस मामले में गोवा 3,08,823 के साथ पहले स्थान पर था, जबकि बिहार 25,950 के साथ सबसे कम रैंक वाला राज्य था।
मानव विकास सूचकांक (HDI) की बात करें तो इस मामले में जम्मू-कश्मीर गुजरात से भी बेहतर था। 2017 में, जम्मू और कश्मीर का मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) 0.68 था। केरल में सबसे ज्यादा HDI (0.77), जबकि बिहार में सबसे कम (0.57) रहा। मानव विकास सूचकांक (HDI) जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और प्रति व्यक्ति आय संकेतकों का एक संयुक्त सूचकांक है।